जीवन एक उपहार है कल्पना एक विचार है
कल्पना, विचार है मस्तिष्क का आहार है नकारात्मकता, है अवगुण इसका सकारतकता, उपहार है कल्पना, उद्देश्य हो यदि दृढ़ता वा सुकर्म से जुड़ी जीवन में सफल मंजिल का यही, प्रवेश द्वार है साहित्य सृजन में, महत्वपूर्ण है रचती, खंड काव्य व महाकाव्य  भी लेख, निबंध, कथा, उपन्यास या नाटक और सिनेमा, कोई भी व्यापार ह…
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टुकड़ों में नही चाहिये बेटियाँ !!
क्या कमी रही संस्कार में मेरी !! की टुकड़ों में मिली बेटी मेरी !! चुक तो हुई हमसे परवरिश में !! कसूर भी हैं हमारी !! वक्त रहते रोका और टोका होता !! हर गलती को नजर-अंदाज ना किया होता !! लड़के मित्रों के साथ तुम्हे खेलने से रोका होता !! सारे जतन कर के तुम्हे बचाया होता !! आज टुकड़ों में नहीं तुमको …
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बच्चों को विरासत में जायदाद नहीं संस्कार दिजिए !!
संस्कार हिन बच्चे ही समाज को दुषित करते हैं !! और इसके जिम्मेदार कुछ हद तक माँ बाप ही होते हैं !! चाहें वो किसी भी धर्म का हो !! किसी भी जाति का हो !! आजकल लोग अपने बच्चों को मार्डन बनाने के चक्कर में  अपने संस्कार से दुर करते जा रहे हैं !! हम ये नहीं देखते हैं कि हमारा बच्चा कैसे लोगों के साथ रह…
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"दो कदम"
साथ चलने वाले आचानक आपको पीछे छोड़ दे !! तेज कदमों से आगे निकल जाये !! आप अपनी कदम बढ़ा लेते हैं !! उसके कदम से कदम मिलाने के लिए !! लेकिन फीर भी पिछे पिछे चलते हैं !! तब बहुत अज़ीब लगता हैं !! हम समझ नहीं पाते है !! कि हमारी चाल धीमी पड़ गयी !! या साथ चलने वाला तेज नीकल गया !! साथ चलते चलते आगे नि…
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धरती बनी दुलहन
बारिश के बाद जब धूप खिल जाता हैं !! हर तरफ खुबसूरती बिखर जाती हैं !! धरती सज धज कर नयी दुल्हन लगती हैं !! हर पत्ते धुल जाते है !! पत्तों पर पड़ी एक एक बूंद बारिश की !! मानो कोई मोती चमक रही हो !! आसमान साफ ऐसा लगता हैं !! नयी चादरें बिछी हो !! खुशी से चहचहाने लगती हैं !! पंछी अपने घोसलों से बाहर आ …
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इश्क करने वाले या तो इतिहास बनाते या खूबसूरत ताजमहल तामीर करते
इश्क को दुनिया नाहक भला-बुरा कहती हैं, इश्क को लोग-बाग नाहक ही निक्कमा निट्ठल्ला कहते रहते हैं? अच्छा तो वह होता है जो किसी चेहरे, किसी लक्ष्य और किसी उद्देश्य को हासिल करने के लिए  एकाग्रचित, एकनिष्ठ और लक्ष्यबद्ध, कटिबद्ध और रूहानी तौर से प्रतिबद्ध होता हैं।  तड़पते तरसते व्याकुल बेचैन इश्क में ऐ…
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अंजुल भर भावों के मोती
स्वर्ण किरणों को धरा पे देख, आज दिल मेरा मचल रहा है। मानो ऐसा लगता है जैसे अम्बर धरा से मिल रहा है। लालिमा लिए हुए भोर की मेरा मन गदगद हो रहा है। जीवन के इस गलियारे में, मधु, सुधा, रस घोल रहा है।  छोड़ निशा की कालिमा को,  इंद्रधनुष सा फैल रहा है। गर छूट गयी उर की आशाएं, नयी उमंग भर रहा है। एक अनछुआ …
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दीपक हुँ !!
दीपक हुँ मैं जलना मेरी मुकद्दर हैं !! कभी खुशियों में जला तो कभी गम में जला !! गरीबो के आँगन में रोशनी के लिए जला !! अमीरों के हवेली में सजावट बन कर जल !! जनमदिन पर मोमबत्ती बन कर जला !! तो कभी किसी की श्रद्धांजलि में दिये में जला !! जिंदगी में सबकी रोशनी दिया !! खुद  को जला जला के पिघला दिया !! कि…
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ना पढ़ पाओगे हमे, स्याही धूल गयी आँसूओं की बरसात में.....
माना की नही आता मुझे !! किसी का दिल जीतना !! मगर ये तो बताओ की !!  यहाँ दिल है किसके पास !! आजकल प्यार के फसल !! उन्ही खेतों में दिखाई देती हैं !! जहाँ रोज पैसों की खाद पड़ती हैं!! वरना तो सुख जाया करती हैं !! जरा सा छेद क्या हुआ जेब में !! पैसों की तरह रिस्ते भी निकल गये !! झूठ बोल कर तो मैं भी दु…
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मैं तो मिट्टी की ढेर थी, तुमने मुझे खिलौना बना दिया.....
मैं तो मिट्टी की ढेर थी !! तुमने मुझे खिलौना बना दिया !! खेल  कर जब भर गया तेरा दिल !! तुने ही अपने हाथो से तोड़ दिया !! अब तो ना मिट्टी रही !! ना ही खिलौना रही !! अगर मिट्टी ही छोड़ देते तो अच्छा !! छोड़ा तुमने लेकिन टुकड़ों में !!  इन टुकड़ों का क्या करु !! टुकड़े नही बीकते हैं बजारो में !! कोई…
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*बचपन की यादें.....*
क्यों इतने बड़े हो गये हम !! आँसू भी निकले तो छिपाना पड़ता है !! हंसना भी तमीज़ से !!  बात करे तो ऊँची आवाज ना हो !! बचपन की बातें बहुत याद आती हैं !! जहाँ कोई बंदिशे नहीं थी !! जिने की आजादी थी !! बरसात के दिनों में !! हमारी भी जहाज़ चला करती थी !! छोटी छोटी बात पर हंस देना !! कुछ मांगने पर ना मिल…
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*पसंद*
तुम्हे नही पसंद था खेलना मेरा  तो खिलौना तोड़ दिया  तुम्हे नही पसंद था हँसना  मेरा  तो बेहया कह दिया  तुम्हे नही पसंद था घुमना मेरा  तो अंतर्मन  को बेडियाँ पहना दी  तुम्हे नही पसंद था पढ़ना मेरा  तो किताबें जला दी  तुम्हे नही पसंद था लिखना मेरा  तो कलम तोड़ दी  तुम्हे नही पसंद था बोलना मेरा  तो बोलने …
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बरसात की रात !
सावन भादो की अंधेरी रात !! कही मेघा बोल रहे हैं टर टर  कही  झिंगुर  सन सन !! गाँव की गलियों में कुत्ते भौक रहे !! और झाड़ियों में लोमड़ी के भयानक आवाज !! सड़कों पर वही दिख रहे !! जिनको करना है सुबह की रोटी का इंतजाम !! जिनके घर पक्के हैं !! वो सो रहे सुकून की नींद !! जिनके घर घर कच्चे हैं !! ओ जाग …
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“दुनिया"
एक दौर आएगा कल नहीं सही तो कुछ देर आएगा,  एक दौर आएगा कल नहीं सही तो कुछ देर आएगा। लोग जमाने के जो आज लगते अफ़साने से है, अफ़सोस ही होगा उनको मुझसे दूर तलक जाने से। बाते ये मीठी नहीं थोड़ी सी कड़वी है, आपकी भी लगती है पर बताता नहीं हूं, दर्द-ए-दिल बहुत है पर जताता नहीं हूं, चाहत तो बहुत है पर चाहने…
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*माँ सच में हम अब आजाद हैं !!*
हर तरफ खुशियों का माहौल था !! सब खुशियाँ मना रहे थे !! स्वतंत्रता दिवस की बधाईयाँ दे रहे थे !! मिठाईयां बाटी जा रही थी !! हर घर पर तिरंगा सजे थे !! हर गली चौराहा सज रहा था !! एक छोटी सी बच्ची करीब 7 साल की थी !! दरवाजे के पीछे खड़ी सिर बाहर निकाल कर !! माँ के हाथ पकड़े !! माँ से मासुम सा सवाल पुछ…
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*मरना है तो मरो वतन के लिए*
क्यों मरते हो यारों सनम के लिए !! ना देगी दुपट्टा कफ़न के लिए !! मारना है तो मरो “वतन” के लिए  !! तिरंगा” तो मिले कफन के लिए !! धरती पुत्रों की जरुरत है !! भारत देश के शान के लिए !! देना हैं बलिदान तो देना अपने देश के लिए !! मत लगने देना दाग किसी अनजान के लिए !! तुम बैठे हो सरहद पर हमारे लिए !! ह…
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