इश्क करने वाले या तो इतिहास बनाते या खूबसूरत ताजमहल तामीर करते


इश्क को दुनिया नाहक भला-बुरा कहती हैं,

इश्क को लोग-बाग नाहक ही निक्कमा निट्ठल्ला कहते रहते हैं?

अच्छा तो वह होता है जो किसी चेहरे, किसी लक्ष्य और किसी उद्देश्य को हासिल करने के लिए 

एकाग्रचित, एकनिष्ठ और लक्ष्यबद्ध, कटिबद्ध और रूहानी तौर से प्रतिबद्ध होता हैं। 

तड़पते तरसते व्याकुल बेचैन इश्क में ऐ सारी खूबियाँ होती है।

फिर भी न जाने क्यों दुनिया इश्क को भला- कहती हैं।

इश्क में पुरी दुनिया से अकेले लड़ने-जूझने और टकराने लिए अद्भूत हौसला होता हैं,

पुरी दुनिया से अकेले लड़ने-जूझने और टकराने का हौसला 

महज सच्चाई में, ईमानदारी में, सचरित्रता में 

और सुकरात काॅपरनिकस गैलीलियो सरीखे और सच्चे ज्ञाताओ में होती  हैं।

फिर भी न जाने क्यों लोग-बाग इश्क को बडी बेतलकुफी के साथ निकम्मा और निठल्ला कह देते हैं।

इश्क को लोग बडे़ धड़ल्ले से आवारा बदचलन कहने की फितरत रखते हैं,

पर इश्क में अपनी इकलौती चाहत के लिए 

फना होने की, दफन होने की, 

अपने वजूद अपनी पहचान और खुद को मिटा देने का साहस होता हैं। 

खुद को मिटा देने की हिम्मत रखने ही नयी दुनिया रचते गढ़ते बनाते हैं। 

ऐसी तड़प ॠषियों मुनियों सत्य के सच्चे साधकों 

और ज्ञान विज्ञान और आविष्कार के ईमानदार साधकों में होती हैं। 

इश्क में सारी हदो सारी सरहदों को पार करने और

 मील के सारे पत्थरों को छू लेने का 

अजीब सा जूनून और गजब जज्बा होता हैं। 

माउंट एवरेस्ट को छूने वालो, समंदर की गहराई नापने वालों, 

और अनंत अंतरिक्ष की ऊचाई नापने वालो में यही जूनून और जज्बा होता हैं। 

इश्क में तड़प हैं, इश्क में बेचैनी, इश्क जूनून है, इश्क में जज्बा हैं, फना होने की हिम्मत हैं। 

बिना तड़प बिना बेचैनी बिना जूनून और बिना प्यार मुहब्बत की जिंदगी बेमानी है। 

इश्क करने वाले या तो इतिहास बनाते या खूबसूरत ताजमहल तामीर करते  हैं। 

इश्क कीजिए फिर समझिए जिंदगी क्या चीज़ है। 


मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता

बापू स्मारक इंटर काॅलेज दरगाह मऊ।



Comments