आज वीरान अपना शहर देखा
आज विरान अपना शहर देखा तो कई बार नजरें उठाकर देखा  इंसान टूटे हुए नजर आए और एक ठहरा हुआ सफर देखा  होश में आ गया जिया हुआ बचपन  जब हमने गिरा हुआ उसका मकान देखा  रास्ते काटे हुए हर वह शक्स याद आए  जब प्यार से गलियों का वह खरंजा देखा अपने आत्मसम्मान पर जब उनको चोट लगी तो अपने अंदर के मकान का हर एक द…
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माँ-बाप की बेबसी .......
दिन-रात साल महीना देखते-देखते  बरसों बीत गया  घर की आंगन और माँ  दोनों की नजरें अभी भी दरवाजे की उस कोन पर अटकी है...  लेकिन नई पीढ़ियों को इसका कोई गम नहीं है  बूढ़े बाप का सहारा बना लाठी भी अब बेसहारा हो चला है.... लेकिन नई पीढ़ी को इसका कोई गम नहीं है जलती, खिलखिलाती, आंगन का चुल्हा  भी बुझने …
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आ अब लोट चलें
बांसों लकड़ियों और सूखे पेड़ की टहनियों से आशियाना बनाएं। ईंट लगा गारे से चुनाई करें। चूना और गेरू से रंग उसकी पुताई  करें। घास फूस की छत बना देसी कवेलु से बारिश की समस्या  को हल करें। आ अब लोट चलें।  मोमबत्ती बिजली या बैट्री चलित दिये की जगह रुई की बात बना तेल या घी में उसको डुबा मिट्टी का दिया …
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क्यों रोई थी मैं.....!!
एक बेटी की कलम से  ......!! क्यों रोई थी मैं .......!! बेटी के रुप में जन्म लिया था इसलिए .....!! बेटी पराया धन हैं ये सून कर बड़ी हुई .....!! शादी के बाद मायका अपना नहीं रहता ....!! क्यों रोई थी मैं ....!! मायके जाने पर सब पूछते हैं .....!! कितने दिन रुकना है ......!! बहुत दिन बाद आई हो .....!! कू…
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बात उनकी भी करें......
हाशिए पर जो खड़े हैं बात उनकी भी करें  रास्ते पर जो पड़े हैं बात उनकी भी करें  हौसलों से कुछ बुलंदी को रहे हैं चूमते  बेबसी में जो अड़े हैं बात उनकी भी करें  आए हैं कुछ आसमां से किस्मतों का बाग़ ले  किस्मतों से कुछ लड़े हैं बात उनकी भी करें पीढ़ियों का उड़ते जाना देखते हैं हम सभी  छूटते घर में बड…
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*माँ तो बस माँ होती है*
घर की खिलती फुलवारी का मां खुद बीज, खुद तना होती है मां तो बस मां होती है।  मेरी ही जिद पूरी करने मां से कहाँ मना होती है मां तो बस मां होती है।  इज्जत वाले परिवारों की मां खुद एक अना होती है मां तो बस मां होत मां तो बस मां होती है मेरी पूरी एक जहाँ होती है।  दिखती मुझको इधर-उधर जाने कब कहाँ-कहाँ…
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*सोच के शिकार*
अकस्मात मन में आया एक विचार लोग हो गये हैं सोच के शिकार,  नित बदल रहा ये समाज  क्या पतन का हो गया आगाज़?  जँहा, शिक्षा बन गया व्यापार,  नारी हो रही शर्मशार,  वृद्ध हो गये लाचार,  लोग भूले गीता का शार। ना अर्थ रहा निर्वाह के संवाद का,  तासीर है बातों में विवाद का,  अब जोर है आतंकवाद का,  यही सोच है …
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*बेटियां*
बेटियां, विदा नही होतीं, वे रह जाती हैं, मां, पिता के घर याद बनकर, एक मूक संवाद बनकर, भावनाओं में बसती हैं पिता की, संवेदनाओं में पलती हैं पिता की मां बनती हैं  तो मां की गोद बनती है पालती है बच्चे, बड़ा करती हैं उन्हें अपने आंचल की छांव देकर,  छाती का अमृत पिलाकर वे विदा होकर भी, रह जाती हैं मां, …
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*पुलवामा हमला*
आज 14 फरवरी का दिन प्रेम दिवस के लिए ही, क्यों?? ये दिन रहता है याद। पुलवामा हमला क्या भूल गए ? जो सिर्फ प्रेम दिवस की ही करते हो बात। क्या भूल गए उन मांओं की चीत्कार? जिन्होंने खोए थे अपने लाल। उन बच्चों की गूँज, जिन्होंने खो दिया था पिता का साया। उस बहन की तड़प, जिस भाई ने बहन को, दिया था रक्ष…
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आया बंसत लेकर यौवन मधुर और मदमस्त राग
आया बंसत लेकर यौवन मधुर और मदमस्त राग, खिल उठे घर-ऑगन, वन, बाग, सरोवर तडाॅग। झुरमुटों से कोयल कूंजे और मुंडेर से बोले काग, बाजे मृदंग, नाचे मयूर और गूंजे चहुंओर फाग़। सुन्दरियाॅ हर्षित हुई पाकर अपने-अपने सुहाग, पर बिरहनियाॅ दिखलाती अपने दिल के गहरे द़ाग।  आया बंसत लेकर यौवन मधुर और मदमस्त राग। पुलक…
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हर बुढापे की लाठी, सहारा और साथी हैं पुरानी पेंशन
हर बुढापे की लाठी, सहारा और साथी है पुरानी पेंशन  ढलती लुढकती जिन्दगियों का कुशल सारथी हैं पुरानी पेंशन।  महर्षि विश्वामित्र, गुरु वशिष्ठ, गुरु द्रोणाचार्य की तरह ज्ञान गंगा बनाने वालों का  अनगिनत  नालंदाओं, बोधगयाओं और तक्षशिलाओं में तपस्या करने वालों का  अपने ज्ञान, प्रज्ञा और बोध से अनगिनत पीढिय…
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यातायात
यातायात पुलिस पर सब न लगाओ दोष  खुद गाड़ी सही से चलाओ रहो अपने होश  अपनी साईड गाड़ी चलाना है  कन्ट्रोल में रहे गाड़ी इतनी स्पीड में चलाना है  बैंक दफ्तर स्कूल कालेजों कार्यालय में जाना है  आधा घंटे पहले घर से निकल आना है ताकि बिना दुर्घटना से बचकर सही सलामत आफिस पहुंच जाना है दो पहिया वाहन पर हेल्म…
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*बेटी दिवस !!!!!*
सरस्वती का मान हैं बेटियाँ !! देवी का रूप देवो के मान हैं बेटियाँ !! परिवार के कुल को जो रोशन करे !! वो चिराग हैं बेटियाँ !! खिलती हुई कलियां हैं बेटियाँ !! माँ बाप के दर्द को समझती है बेटियाँ !! हर दर्द सह कर भी सबको खुश रखती है !! ऐसी होती हैं बेटियाँ !!! मायके में रहती हैं तो बेटी बन कर !! सबक…
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अब तक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे-
अब तक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे।  गंगा-यमुना की लहरों सा जन-जन में नयी उमंग रहे, आशाओं पर लहराता जीवन रग-रग में नयी तरंग रहे, उम्मीदों का हो हरदम बसंत, मन में आशा उत्कर्ष रहे। अबतक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे।  हर बाॅग-तडाॅग में सावन हो, हर ऑगन हरा-भरा रहे, सृष्टि का श्रृं…
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स्वागतम :- नूतन वर्ष 2023
पूर्व वर्ष 2022 : बिसारें सारे अशुभ पल बिसारें सारे गिले-शिकवे  बिसारें सारे भूल-चूक  नूतन वर्ष 2023 : स्वागत करें, वंदन करें  अभिनंदन करें आशान्वित रहें  शुभ पल व शुभ समाचार हेतु  मनन करें व गहन चिंतन करें  और  कार्य करें, उपकार करें  आशा व विश्वास है  खुशियाँ दस्तक देंगीं आत्मसंतुष्टि का बोध हो…
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*नूतन वर्ष में खुशियों का लिफाफा*
नूतनवर्ष की बेला को, ये जग सारा निहार रहा है। नव उत्साह और उमंगों के संग, ह्रदय में सबके उतर रहा है। मृदुल, मनोरम स्वप्न संजोकर,  दिल की पगडंडी पर डोल रहा है। इस वर्ष स्वप्न हो जायें पूरे, यही कामना कर रहा है। अपने हर गम को भुलाकर,  खुशीयों का लिफाफा खोल रहा है। आने वाले कल में अपनी, जीवन मे अमृत र…
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बेटियों को विरासत नही चाहिए !!
शादी के बाद हर लड़की चाहती है !! की उसके पिठ पीछे मायके की एक  मजबूत दीवार हो !! कुछ ना भी मिले फिर भी !! ऐ एहसास हो मेरे मायके वाले मेरे साथ हैं !! तीज त्योहार पर मायके से कोई आये !! साड़ी कपड़े मिठाईयों के साथ !! ससुराल में गर्व से बोलती हैं !! मेरे मायके से आया है !! मायके से एक बटोहिया भी आ ज…
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*जीवन एक बुलबुला पानी है*
सफलता व असफलता तो आनी जानी है। इस धरा पर आना ही "जीवन एक बुलबुला पानी" है ।। असफलता से जिसने कभी हार नही मानी है। मुस्करा कर जो जीता है, वही सफलता की निशानी है।। सुख-दुःख तो जीवन की कहानी है। एक बनी दीया, तो दूजी बनी बाती है।। लक्ष्य को साध, जो उर में दीप जलाता है। एक न एक दिन असफलता को अ…
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कोई तो हो.....
कोई तो हो सुने मुझे बिना जज किये  कोई तो हो जिससे कह सकूं बातें मन की  कोई तो हो जिसका होना भर ही सुकून हो  कोई तो हो जिसके कंधे पर सर रख कर सकूँ  कोई तो हो जिसके लगे लग कर जी भर रो सकूँ  कोई तो हो जिसके लिये एक देह से ज्यादा हो सकूँ  कोई तो हो जिससे सारे ख्वाब कह सकूँ  कोई तो हो जो मेरे ख्वाबों को…
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शब्दों को कैसे सजा दिया !!
बड़ी ही खुबसूरती से शब्दों को सजाया !! लफ्ज कुछ और थे मतलब कुछ और बनाया !! घमंड बहुत हैं उसे आत्म सम्मान का नाम दिया !! लालच को अपनी जरुरत बता दिया !! दिखावे को और भी खुबसूरती से सजा दिया !! गर्व हैं हमे ऐसे बता दिया !! धोखा दिया और खुद सही साबित कर दिया !! मजबूरियों के जामा पहना दिया !! गवन को भी …
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