मैं तो मिट्टी की ढेर थी, तुमने मुझे खिलौना बना दिया.....

 


मैं तो मिट्टी की ढेर थी !!

तुमने मुझे खिलौना बना दिया !!


खेल  कर जब भर गया तेरा दिल !!

तुने ही अपने हाथो से तोड़ दिया !!


अब तो ना मिट्टी रही !!

ना ही खिलौना रही !!


अगर मिट्टी ही छोड़ देते तो अच्छा !!

छोड़ा तुमने लेकिन टुकड़ों में !!


 इन टुकड़ों का क्या करु !!

टुकड़े नही बीकते हैं बजारो में !!


कोई मोल नहीं इन टुकड़ों का !!

ना ही कोई खरीदार मिलता बजारो  में !!

 

कैसे समेटे इन टुकड़ों को !!

जो ना मिट्टी रहे ना खिलौना !!


मिट्टी होती तो फिर से खिलौना बन सकती !!

टुकड़ों की कोई कीमत नहीं !!


ना मिट्टी रही ना रही खिलौना !!

कंकड़ के टुकड़ों की कोई मोल नहीं !!


मिट्टी होती तो उग भी जाते कोई फुल !!

पत्थर पर देखा है कभी उगते फुल !!


मिट्टी होती तो नही चुभती पाँव में !!

बंजर ही रहती फुल नहीं तो कुश ही उगाती !!


तुने तो मेरी अस्तित्व ही खत्म कर दिया !!

मिट्टी का ना मिट्टी छोड़ा ना खिलौना !! 


मीना सिंह राठौर ✍️

नोएडा, उत्तर प्रदेश। 



Comments