"गीत"
आज "विश्व काव्य दिवस" के अवसर पर समस्त कवियों, शायरों, साहित्य-प्रेमियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाओं के साथ अपनी एक रचना प्रकाशनार्थ आपकी सेवा में प्रेषित कर रहा हूं। धुँआ-सा क्या सुलगता है ? कहीं कुछ तो महकता है !                                                         -ज़हर कैसा हवा …
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प्रियतम ! मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार करो.....
कल दिनकर जी की उर्वशी पढ़ने के बाद उसका ख़ुमार सारे दिन ही बना रहा बस फिर क्या रात्रि 12:30 बजे से एक गीत दुपक-छुपक कर बार बार मुझसे कह रहा मुझे लिख लो ...इस बार गया तो पता नहीं वापिस लौटूंगा भी या नहीं इसलिए अभी लिख लो और आखिरकार रात्रि 2:00 बजे वो गीत मेरी डायरी के पन्नों पर उतर ही आया और अब आप सभी…
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