प्रियतम ! मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार करो.....
कल दिनकर जी की उर्वशी पढ़ने के बाद उसका ख़ुमार सारे दिन ही बना रहा बस फिर क्या रात्रि 12:30 बजे से एक गीत दुपक-छुपक कर बार बार मुझसे कह रहा मुझे लिख लो ...इस बार गया तो पता नहीं वापिस लौटूंगा भी या नहीं इसलिए अभी लिख लो और आखिरकार रात्रि 2:00 बजे वो गीत मेरी डायरी के पन्नों पर उतर ही आया और अब आप सभी…
