*दिल मचले इस सावन में*


सावन गीत :-

 प्रियतम आजा दूर देश से दिल मचले इस सावन में।

 संग-संग हम झूलेंगे झूला बरसा ऋतु मनभावन में।


बारिश के टिप-टिप से ज्यादा ये दिल धक-धक करता है

 पागल पुरवा शोर करे है मन भी आहें भरता है 

गाऊंगी मल्हारें तुझ संग प्रीति-प्रणय इस पावन में।


 दरिया सा यह यौवन उफने लहर उठे मेरे मन में

 खुश्बू सी मैं कभी चंचल हूं मोरनी कभी मैं वन में

 जब भी देखूं तुझको पाऊं नित सपनों के उपवन में।


 कजरा, गजरा, चूड़ी, बिंदी सब पर तू ही छाया है

 नजर में तेरी दुनिया देखूं तुझसे ही यह माया है

 ढाई अक्षर प्रेम से 'नवचंद' हरियाली है जीवन में।


 *डॉ नवचंद्र तिवारी*

 शिक्षक व कवि, बलिया, (उ.प्र.)

 मो0-8787 09011



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