माना की नही आता मुझे !!
किसी का दिल जीतना !!
मगर ये तो बताओ की !!
यहाँ दिल है किसके पास !!
आजकल प्यार के फसल !!
उन्ही खेतों में दिखाई देती हैं !!
जहाँ रोज पैसों की खाद पड़ती हैं!!
वरना तो सुख जाया करती हैं !!
जरा सा छेद क्या हुआ जेब में !!
पैसों की तरह रिस्ते भी निकल गये !!
झूठ बोल कर तो मैं भी दुनिया जीत लेती !!
लेकिन सच बोलने की बिमारी ले डूबती !!
उसूलों के हम बहुत पक्के हैं !!
जिसे नजर से गिरा देते उसे फिर नहीं देखते !!
रहने दो अब पढ़ ना सकोगे मेरा दिल !!
बरसात में भीगे हुए कागज की तरह है हम !!
ना पढ़ पाओगे हमे !!
स्याही धूल गयी आँसूओं की बरसात में !!
पछताओगे हाथ में लेकर गीले कागज को !!
ना पढ़ सकोगे ना फेक सकोगे !!
मीना सिंह राठौर ✍️
नोएडा, उत्तर प्रदेश।
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