खान अब्दुल गफ्फार खान (सरहदी गाँधी) की याद में.....
बात उन दिनों की है, महात्मा गाँधी को दक्षिण अफ्रीका से लौटे अभी चंद वर्ष ही बीते थे। जल्द ही उनके द्वारा चलाये जा रहे अहिंसक, सत्यग्रह की चर्चा चारो तरफ होने लगी थी। सैकड़ों मील दूर अफगानिस्तान की सरहद पर पशतून पठान कबीले तक भी यह बात पहुंची। इसी कबीले के एक पढे लिखे नौजवान को सत्य, अहिंसा पर आधार…
