खान अब्दुल गफ्फार खान (सरहदी गाँधी) की याद में.....
बात उन दिनों की है, महात्मा गाँधी को दक्षिण अफ्रीका से लौटे अभी चंद वर्ष ही बीते थे। जल्द ही उनके द्वारा चलाये जा रहे अहिंसक, सत्यग्रह की चर्चा चारो तरफ होने लगी थी। सैकड़ों मील दूर अफगानिस्तान की सरहद पर पशतून पठान कबीले तक भी यह बात पहुंची। इसी कबीले के एक पढे लिखे नौजवान को सत्य, अहिंसा पर आधार…
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बलिया के लिए बरदान हैं आर्द्रभूमियां : डॉ0 गणेश पाठक
बलिया। अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के पूर्व शैक्षिक निदेशक पर्यावरणविद् डा०गणेश कुमार पाठक ने एक भेंटवार्ता में बताया कि "आर्द्र भूमि वह भूमि होती है जो जलीय पारिस्थितिक प्रणाली में, जहां जल का तल प्रायः जमीन…
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वैदिक वाङ्मय का पुनर्जन्म का सिद्धांत मिथक नहीं अपितु यथार्थ : डॉ0 विद्यासागर उपाध्याय
वैदिक वाङ्मय को चार भागों में बाँटा गया है :-   1- वेद संहिता। 2- ब्राह्मण ग्रन्थ। 3- आरण्यक ग्रन्थ।  4- उपनिषद्। वर्तमान समय में वैदिक वाङ्मय ही हिन्दू धर्म के प्राचीनतम स्वरूप पर प्रकाश डालने  वाले विश्व के प्राचीनतम् स्रोत है।पुनर्जन्म की जो व्याख्या सनातन वैदिक वाङ्मय में उपलब्ध है उस पर पाश्…
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क्या हाउसिंग सोसायटी अविवाहित लोगों को घर किराए पर लेने से रोक सकता है?
कई मकान मालिकों का कुंवारे या अकेले रह रहे लोगों को घर किराये पर देने का अनुभव अच्छा होता है. साथ ही, कुंवारे लोगों को किराए पर लेना फ्लैट मालिक के लिए अधिक फायदेमंद होता है क्योंकि वे आपस में खर्चों को विभाजित करके अधिक भुगतान करने को तैयार होते हैं। लेकिन शहरों में हाउसिंग सोसाइटी अक्सर यह नियम ब…
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विज्ञान और धर्म अलग नहीं, बल्कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं! : डॉ. जगदीश गाँधी
विज्ञान व धर्म मिलकर समाज की बेहतर सेवा कर सकते हैं। विज्ञान और धर्म अलग नहीं, बल्कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यह धारणा गलत है कि विज्ञान व धर्म साथ-साथ नहीं चल सकते हैं। विज्ञान प्रत्यक्षवाद और धर्म परोक्षवाद पर विश्वास करता है। प्रत्यक्ष व परोक्ष मिलकर एक होते हैं। दुर्भाग्य यह है कि वैज्ञानिक…
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इस प्यारी पृथ्वी को बचाने के लिए ‘विश्व संसद’ जरूरी! : डॉ. जगदीश गाँधी
(विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) पर विशेष लेख) (1) पृथ्वी के बिना हम जीवन की परिकल्पना भी नहीं कर सकते :- पृथ्वी के बिना हम जीवन की परिकल्पना भी नहीं कर सकते। पृथ्वी पर ही हमें जीवित रहने के लिए अन्न, जल इत्यादि मिलता है। वास्तव में सौर मंडल के नौ ग्रहों में से, पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है, जहां जी…
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सदियों से सोए-खोए और हाशिए पर खड़े समाज को जगाया था डॉ भीम राव अंबेडकर ने
सामाजिक समरसता और समता मूलक समाज के प्रबल पक्षधर तथा कुप्रथाओं के कारण पीढी-दर-पीढी  सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल चुकी बहुसंख्यक आबादी के सम्मान तथा स्वाभिमान के सच्चे लडाके डॉ भीम राव अंबेडकर ने सामाजिक न्याय को आधुनिक अर्थों में न केवल परिभाषित किया बल्कि सामाजिक न्याय के लिए जीवन पर्यन्त जीवटता स…
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‘वैलेन्टाइन दिवस’ को ‘पारिवारिक एकता दिवस’ के रूप में मनायें!
संत वैलेन्टाइन को सच्ची श्रद्धाजंली देने के लिए 14 फरवरी (1) ‘वैलेन्टाइन दिवस’ रोम के पादरी संत वैलेन्टाइन को समर्पित :-   संसार को ‘परिवार बसाने’ एवं ‘पारिवारिक एकता’ का संदेश देने वाले महान संत वैलेन्टाइन के ‘मृत्यु दिवस’ को आज भारतीय समाज में जिस ‘आधुनिक स्वरूप’ में स्वागत किया जा रहा है, उससे ह…
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दीपावली आत्मा के प्रकाश का त्योहार है!
4 नवम्बर - दीपावली पर्व पर विशेष लेख (1) दीपावली का पर्व हमें अपने अन्दर आत्मा का प्रकाश धारण करने की प्रेरणा देता है :- त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र “मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम” जब पिता की वचन-पूर्ति के लिए चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके तथा अहंकारी रावण का वध करके अपनी पत्…
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