बलिया : पहली बार जब बागी बलिया ने आजादी हासिल की : डॉ नवचंद्र तिवारी


भारत के राष्ट्रीय पटल पर भृगु मुनि की पावन धरा पर अवस्थित बागी बलिया का इतिहास में 19 अगस्त  स्वर्णाक्षरों में अंकित है। यह क्रांति का वह चरमोत्कर्ष वाला दिवस था। महात्मा गांधी के मुंबई में गिरफ्तारी के फल स्वरुप संपूर्ण बलिया ब्रिटिश शासन के विरोध में सुलग उठा था।

9 अगस्त 1942 से 19 अगस्त 1942 तक चले अनवरत आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की चूलें हिला दी थीं। जंग-ए-आजादी में अपने बांकपन तेवर लिए जगह-जगह अंग्रेजी शासकों को उनकी औकात दिखा दी। थाने फूंके गए। बाजार लूट गए। कार्यालयों पर भारतीय तिरंगा लहराने लगा।

जनपद के शिक्षक व साहित्यकार डॉ नवचंद्र तिवारी ने आगे बताया कि अंग्रेजों की गोली के सामने बलियाटिक जाबांजों का हौसला सदैव भारी पड़ता गया। चित्तू पांडेय , पं महानंद मिश्र, रामअनंत पांडेय, कौशल कुमार सिंह, जगन्नाथ तिवारी, विश्वनाथ चौबे आदि रणबांकुरों के लहर व क्रांतिकारियों के प्राणोत्सर्ग से ब्रिटिश जिला प्रशासन 19 अगस्त को कांप  उठा।

हर क्षेत्र से हजारों की संख्या में देशभक्त जब जिला मुख्यालय पहुंचे तो दस हजार की आक्रोशित भीड़ देखकर तत्कालीन डीएम जे निगम व कप्तान जियाउद्दीन अहमद  चितू पांडेय के समक्ष गिड़गिड़ा उठे कि अब आप ही हम लोगों को बचा सकते हैं। अधिकारीद्वय ने अनहोनी की आशंका भांप कर भीड़ से घबराकर उन्हें नियंत्रित करने के निमित्त खबर दी कि जेल में निरूद्ध सभी सेनानियों को छोड़ा जा रहा है।

अतः जिला कारागर से चितू पांडेय सहित सभी सेनानियों को रिहा कर दिया गया। हालांकि इससे गरम दल के नेता संतुष्ट नहीं थे परंतु अंग्रेज दोषियों को सजा दिलाने की बात पर चित्तू पांडेय व महानंद मिश्र आदि टाउन हॉल पहुंचकर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

अगले दिन अर्थात 20 अगस्त 1942 को आजाद बलिया में शेर-ए-बलिया चित्तू पांडेय ने प्रथम कलेक्टर व पंडित महानंद मिश्र ने प्रथम कप्तान के रूप में गद्दी संभाली। यद्यपि यह आजादी 14 दिनों की ही थी परंतु इसने स्वतंत्रता की जो चिंगारी देश भक्तों में फूंकी थी। वह ज्वालामुखी बन आगे चलकर अपने उद्देश्य में सफल हुई। तब से स्वतंत्रता पश्चात प्रतिवर्ष शहीदों व क्रांतिकारियों की याद में 19 अगस्त को लोग जिला कारागार पहुंचकर फाटक खुलवाते हैं एवं प्रतीकात्मक रूप से उस स्मृति को ताजा करते हैं।

डॉ नवचंद्र तिवारी ✍️

शिक्षक व साहित्यकार

सनबीम स्कूल, बलिया।



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