भारतीय संस्कृति के पोषक हैं श्रीराम : डॉ0 गणेश पाठक
मेरे जैसे अल्प ज्ञानी के लिए भगवान श्रीराम पर कुछ तय लिखना अपने आप में एक दुष्कर कार्य है। फिर भी अभी तक मैंने जो कुछ भी पढ़ा है, जाना है एवं मनन किया है,उसके आधार पर कुछ लिखने का दु:साहस कर रहा हूं। सबसे पहले तो हम यह जानें कि श्रीराम को श्रीराम नाम प्रचलित होने से पहले किस नाम से जाना जाता था। इस…
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विश्व एकता की शिक्षा इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है!
बहाउल्लाह जयन्ती (12 नवम्बर) पर प्रकाशन हेतु विशेष लेख :-  (बहाई धर्म की आधारशिला मानव मात्र की एकता है) (1) ‘‘विश्व एकता’’ की शिक्षा इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है :- फारस में 12 नवम्बर 1817 को जन्मे बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह ने 27 वर्ष की आयु में जिस काम को शुरू किया था, वह धीरे-धीरे विश्व …
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अतुल्य व अनुपम है शिक्षक का पथ : डॉ. नवचंद्र तिवारी
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।। अदि्वतीय कवि कबीर दास का यह दोहा अत्यंत मर्मस्पर्शी है। उन्होंने गुरु के अतुलनीय महत्व को रेखांकित कर उसके अंतर्वाह्य  विशेषता को अलौकिक रूप से उद्मृत किया है। वास्तव में गुरु या शिक्षक ही शिष्य या विद्यार्थी के मनोभावों को…
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मुंशी प्रेमचंद जयंती : अपने पाठक से बतियाने लगती है मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं
हिंदी साहित्य के अद्वितीय, अनूठे और अमर कहानीकार एवं उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित लगभग तीन सौ कहानियों और बारह उपन्यासों का अध्ययन करते समय पाठकों के मन, मस्तिष्क और हृदय में गाॅवो का सहज, सरल, ठेठ, देशज और देहाती अंदाज तथा गरीब और गांव की व्यथा सजीव होने लगती हैं। आधुनिक हिंदी साहित्य को …
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नरेंद्र मोदी की राजकीय अमेरिका यात्रा
कहते हैं कि 'सब दिन होत न एक समाना।' इन पंक्तियों को चरितार्थ करती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह 'पंच दिवसीय विदेश यात्रा' के प्रथम सोपान का तीन दिवसीय चरण, जो अमेरीका के न्यूयॉर्क शहर से प्रारम्भ हुआ। इससे पूर्व लगभग वह छह बार अमेरिका की यात्रा कर चुके हैं लेकिन यह यात्रा पूर्व क…
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हम सभी तभी तक सुरक्षित हैं, जब तक हमारा पर्यावरण सुरक्षित है!
(विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) पर विशेष लेख) (1) एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य :- हम सभी जानते हैं कि पर्यावरण मानव जीवन का वह हिस्सा है, जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसकी महत्ता को समझते हुए ही वर्ष 1972 में स्वीडन के शहर स्टाकहोम में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व का पहला अंतर्र…
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बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष : सत्य, अहिंसा और करूणा के देवदूत थे महात्मा बुद्ध
सोवियत रूस और यूक्रेन के मध्य चल रहे भीषण युद्ध और इस युद्ध को रोकने के प्रयासों के मद्देनजर आज से ढाई हजार साल पहले महात्मा बुद्ध द्वारा प्रतिपादित पंचशील का सिद्धांत  प्रासंगिक होने लगता है। व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनीतिक जीवन को सुख्मय, शाॅतिमय, और ज्योतिर्मय बनाने के लिए महात्मा बुद्ध ने सर्वप्…
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1 मई मजदूर दिवस : इतिहास, वर्तमान और भविष्य का असली निर्माता हैं मेहनतकश मजदूर
एक दिन फल जरूर उगेगे रोटी के पेड में, इंकलाबी जिस दिन खेत के मजदूर हो गए। मेहनतकशों के पसीनों से भी महकेगा गुलिस्ताॅ अपना, हवा-हवाई आसमानी रहनुमा जिस दिन ठेर हो गये।  इतिहास के पन्नों में दर्ज दुनिया के अनगिनत राजाओं, रईसों, सम्राटों, बादशाहों और शहंशाहो के अनेकानेक सुनहरे सपनों, क्षख्वाबों तथा ख्व…
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एक माँ की मन की व्यथा.....
माँ जब अपने बच्चों का परवरिश जैसे तैसे करके बड़ा कर देती है और उसके बच्चे समाज के बीच रहने लगते हैं तब मां के लिए सबसे कठीन परिस्थिति होता है अपने बेटे की शादी करना क्योंकि जब अपने रिश्तेदारों और समाज में शादी विवाह देखती है तो वह भी सोचती है कि जल्दी से मेरे बेटे का भी शादी हो जाए फिर धीरे-धीरे …
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महाड़ सत्याग्रह और बाबासाहेब आंबेडकर
सामाजिक क्रांति के इतिहास में के डॉक्टर बाबा साहेब आम्बेडकर के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। विलायत से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उच्च डिग्री प्राप्त करने के बाद बाबा साहब आम्बेडकर 1917 में भारत आये। अपने करार के अनुसार कुछ समय उन्होने बड़ौदा रियासत में अर्थ मंत्री के रूप में कार्य किया। लेकिन…
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