अतुल्य व अनुपम है शिक्षक का पथ : डॉ. नवचंद्र तिवारी
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।। अदि्वतीय कवि कबीर दास का यह दोहा अत्यंत मर्मस्पर्शी है। उन्होंने गुरु के अतुलनीय महत्व को रेखांकित कर उसके अंतर्वाह्य विशेषता को अलौकिक रूप से उद्मृत किया है। वास्तव में गुरु या शिक्षक ही शिष्य या विद्यार्थी के मनोभावों को…
