नरेंद्र मोदी की राजकीय अमेरिका यात्रा


कहते हैं कि 'सब दिन होत न एक समाना।' इन पंक्तियों को चरितार्थ करती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह 'पंच दिवसीय विदेश यात्रा' के प्रथम सोपान का तीन दिवसीय चरण, जो अमेरीका के न्यूयॉर्क शहर से प्रारम्भ हुआ। इससे पूर्व लगभग वह छह बार अमेरिका की यात्रा कर चुके हैं लेकिन यह यात्रा पूर्व की उन यात्राओं में विशेष स्थान रखती है क्योंकि वह इस बार विश्व के सबसे प्राचीन लोकतांत्रिक देश अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन व उनकी पत्नी डॉ. जिल बाइडेन के विशेष अतिथि हैं वह, जो बाइडेन की कलम से लिख कर आमंत्रित किये गए 'स्टेट विजिट' पर थे। इस प्रकार के राजकीय अतिथि के प्रोटोकॉल भी विशेष होते हैं। इस यात्रा का सम्पूर्ण भार-वहन आयोजक करेंगें । '21 तोपों की सलामी' से लेकर 'व्हाइट हाउस में रात्रि भोज', व्हाइट के बगल में रुकने की व्यवस्था आदि। अमेरिका के रष्ट्रपति एक वर्ष में राजकीय अतिथि के रूप में केवल एक मेहमान को आमंत्रित कर सकतें हैं। 'स्टेट विजिट' का दर्जा स्वयं में उपरोक्त पंक्तियों को चरितार्थ करता है। 

20 जून 2023 को भारत से रवाना होकर विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहर 'न्यूयॉर्क' पहुंच कर, अगले दिन संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय के 'नार्थ लान' में, भारत के सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष रहते, पिछले दिसम्बर में स्थापित, राष्ट्रपिता 'महात्मा गांधी' की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर 'नवें अंतराष्ट्रीय योग दिवस' समारोह में भाग लेकर, इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाते हुए, 'गिनीजबुक ऑफ द वर्ल्ड रिकार्ड' में नाम दर्ज कराने में 'योग करते हुए' अपना योगदान दिया। इस कार्यक्रम में लगभग 180 देशों के प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। सर्वाधिक देशों के प्रतिनिधियों की सहभागिता के कारण यह उपलब्धि प्राप्त हुई। संयुक्त राष्ट्र संघ सामान्य सभा के '77 वें' सत्र के अध्यक्ष कोसाबा कोरोसी, हॉलीबुड के अभिनेता रिचर्ड गेर, न्यूयॉर्क शहर के मेयर एरिक एडम्स सहित बहुत सी हस्तियों ने पूर्व निर्धारित सफेद रंग की टीशर्ट के ड्रेस कोड के परिधान में हिस्सा लिया। यूएनजीए के अध्यक्ष कोसाबा कोरेसी के अनुसार वह अपनी बेटी के कारण, जो इसमे बहुत रुचि लेतीं हैं, काफी कुछ सीख पाए हैं। उनको अपनी बेटी पर योग अभ्यास के कारण गर्व है। प्रधानमंत्री में अपने योग सत्र के सम्बोधन में 'योग' को एकजुट कटने वाला बताया। योग को मनाने सम्बन्धी अपने '9 वर्ष पूर्व  के प्रस्ताव' का जिक्र किया। उन्होंने प्राचीन भारतीय इस विधा की वैश्विक उपयोगिता को देखते हुए इसे कॉपीराइट, पेटेंट और रॉयल्टी मुक्त बताया। 

न्यूयॉर्क से प्रधनमंत्री अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन डीसी पहुंचे जहां प्रोटोकॉल के अनुसार बारिश के बावजूद 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया गया एवं प्रवासी भारतियों द्वारा पारम्परिक रूप से स्वागत किया गया।  विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के राजकीय अतिथि का जो बाइडेन एवं डॉ जिल बाइडेन ने अभिनन्दन किया। व्हाइट हाउस से 'हिंदी' में अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने इस गर्मजोशी भरे स्वागत को सवा सौ करोड़ भारतीयों व लगभग 40 लाख अप्रवासी भारतीयों का सम्मान बताया और 'वार्म वेलकम'के लिए जो बाइडेन दम्पत्ति  को धन्यवाद ज्ञापित किया। इसको दुनिया के सबसे पुराने और चैंपियन लोकतंत्र और सबसे बड़े लोकतंत्र की मित्रता में नए अध्याय के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आज के 30 वर्ष पूर्व इसी व्हाइट हाउस को व बाहर से देख कर गए थे। आज इसके दरवाजे मेरे साथ प्रवासी भारतीयों के लिए भी खुल गए। वह राजकीय अतिथि के रूप में व्हाइट हाउस में आयोजित रात्रि भोज में वह जो बाइडेन दम्पत्ति के टेबल पर थे, साथ मे 400 भारतवंशियों को भी आमंत्रित किया गया था जिनमें सुंदर पिचाई, मुकेश अम्बानी, इंदिरा नूईं, आनंद महेंद्रा, टिम कुक आदि अपने-अपने क्षेत्रों के दिग्गज लोग थे। जो बाइडेन ने रात्रि भोज को 'मित्रत्रा के महान बंधन का जश्न बताया।' मोदी ने भोज के दौरान ऑस्कर विजेता भारतीय गाने 'नाटू-नाटू' का जिक्र करते हुए अमेरिकी युवाओं में उसकी लोकप्रियता का के साथ भारतीय बच्चों में स्पाइडर मैन बनने की बात की प्रवृति को अगली पीढ़ी की निकटता के सेंस में कोड किया। 

प्रधानमंत्री ने जो बाइडेन को मैसूर की चंदन की लकड़ी से निर्मित नक्कासीदार बॉक्स, उसमें चांदी से निर्मित 'दस दानम' को रखने हेतु डिब्बी जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों से सम्बंधित आवश्यक सामग्री रखी गयी थी, बॉक्स में चांदी की गणेश मूर्ति, चांदी का नारियल आदि सभी 'गो दान' हेतु सामग्रियां रखी थी जो नवम्बर में 81 वर्ष के होने जा रहे रष्ट्रपति के कार्य आ सके। जिससे देख बाइडेन भावुक दिखे। अमेरिका की प्रथम महिला के लिए व मेड इन इंडिया ग्रीन डायमंड जो प्रयोगशाला में तैयार किया गया था भेंट किया। इन सभी बस्तुओं में भारत के विभिन्न क्षेत्रों की विशेताएँ समाहित थी।

अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को ऐतिहासिक रूप से दूसरी बात सम्बोधित करने वाले 'प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री 'बने नरेंद्र मोदी। सम्बोधन के क्रम में उन्होंने भारतीय विकास की गाथा का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में जब पहली बार अमेरिका आये तो उस समय आर्थिक दृष्टि दे भारत 'विश्व की दसवीं बड़ी अर्थव्यवस्था' था जो इस बार की यात्रा के समय 'विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था' के रूप में स्थापित हो चुका है और शीघ्र ही यह 'विश्व की तृतीय बड़ी अर्थव्यवस्था' के रूप में अपना नाम दर्ज कराने की तरफ अग्रसर है। उन्होंने भारत के विकास  को दुनिया के विकास से जोड़ते हुए कहा कि 'भारत जब विकास करता है तो पूरी दुनिया विकास करती है।' भारत  सरकार ने अपने सवा अरब लोगों के आश्रय के लिए चार करोड़ घर दिए हैं जो ऑस्ट्रेलिया के जनसख्या का छः गुना है। भारत सरकार गरीबों के लिए मुफ़्त इलाज की सुविधा दे रहीं। उन्होंने अमेरिका के 9/11 के आतंकबादी हमले व भारत के 26/11 के हमले का जिक्र करते हुए वैश्विक आतंकवाद व धार्मिक कट्टरता के प्रति ध्यान केंद्रित किया किया। इसको विश्व के लिए खतरनाक बताते हुए इसपर भेदभाव और किन्तु-परन्तु न करने की बात करते हुए इस पर  प्रभावशाली नियंत्रण लगाने पर जोर दिया। चीन का नाम न लेते हुए हिन्द-प्रशांत क्षेत्र पर घुमड़ते टकराव के बादल पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वैश्विक व्यवस्था 'सँयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर' के अनुसार आपसी एकता, अखण्डता, सम्प्रभुता का सम्मान करते हुए आंतरिक मामलो में अहस्तक्षेप की होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम किसी को अलग करने पर नहीं वरन पारस्परिक सहयोग करते हुए विकास के पथ पर अग्रसर होने की इच्छा रखते हैं। उन्होंने मानवता, विकास आदि की चर्चा की। उनके अनुसार एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स के क्षेत्र में जिस प्रकार विकास होरहा है, उसी प्रकार अमेरिका और इंडिया के रिश्ते भी अग्रसर हैं। इस सदी के प्रारम्भ में हम रक्षा के क्षेत्र में सहयोग में लगभग नगण्य थे लेकिन अब हमारा सम्बन्ध काफी आगे बढ़ चुका है। उन्होंने प्रतिनिधियों को नसीहत देते हुए कहा कि हमारे राजनैतिक मतभेद हो सकते हैं किंतु जब हम राष्ट्र की बात करें तो एक मत रहें। मोदी की लोकप्रियता का आलम यह था कि स्पीकर मैकार्थी ने उनका स्वागत करना सौभाग्य की बात बताया, वह उनका ऑटोग्राफ भी लिए जिसके लिए सांसदों में होड़ मची थी। यह स्थिति नरेंद्र मोदी की वैश्विक लोकप्रियता को दर्शाती है।

इस यात्रा के दौरान विकास के विभिन्न क्षेत्रों में कई युगान्तकारी समझौते किये गए। जिनमें भारत एच बी 1 बीजा पर भारतीयों के लिए सिएटल में नया वाणिज्यिक दूतावास खोलेगा और अमेरिका  दो वाणिज्यिक दूतावास अहमदाबाद व बंगलुरू में खोलेंगे। इस वीजा पर अमेरिका द्वारा कुछ रियातें देने पर मोदी ने धन्यवाद दिया। सबसे बड़ा समझौता प्रतिष्ठित अमेरिकी कम्पनी जनरल इलेक्ट्रिक एरोस्पेस और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच हल्के लड़ाकू विमान 'तेजस एमके 2 'के लिए जेई एफ 414 इंजन को भारत मे बनाए जाने को लेकर हुआ। इसके साथ ही तकनीकी साझा करने के दौर का सूत्रपात हुआ। विशेष बात इसमे यह है कि तकनीक साझा करने का नियम केवल अमेरिका अपने सैन्य सहयोगियों के साथ किया था, भारत पहला देश है जिसका सैन्य सहयोग न होने के बावजूद यह समझौता हुआ। भारत अमेरिका से 31 'एमक्यू 9 बी' ड्रोन खरीदेगा।जिससे भारतीय नेवी की ताकत बहुत बढ़ जाएगी और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की निगरानी की दिशा में इसको बड़ा कदम माना जा सकता है। सेमीकंडक्टर की दिग्गज अमेरिकी कम्पनी 'माइक्रोन' गुजरात मे अपना प्लांट लगाएगी जिससे भारत में रोजगार सृजन के अतिरिक्त इसके हब के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी। अभी तक भारत इसको चीन आदि अन्य देशों से आयात करता था। स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारतीय एजेंसी इसरो और अमेरिकी एजेंसी नासा के बीच करार हुआ। जटिल टेनोलॉजी को सुरक्षित रखने व आपस मे बांटने पर भी दोनों देशें में समझौते हुए। शिक्षा एवं टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कार्य करने वाली अमेरिका की एजेंसियों के सीईओ को भी भारत आकर भारतीय मेघा को निखारने के लिए आमंत्रित किया। मोदी ने प्रमुख अमेरिकी कम्पनियों के सी ई ओ के साथ बैठक कर उनको भारत में आकर कार्य करने हेतु आमंत्रित किया।

एक साझा बयान में 5 जी, 6 जी टेलीकॉम नेटवर्क, हाई एंड ई कम्प्यूटिंग के क्षेत्रों के साथ-साथ सह-उत्पादन के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

विदेशी राजनयन में सभी सम्बन्ध अपने हितों के पोषण हेतु बनाये जाते हैं। नरेंद्र मोदी की अमेरिका की यात्रा में जो बाइडेन और उनके बीच आत्मीयता की जो झलक दिखी उसकी परिणीति उपरोक्त विभिन्न समझौतों के रूप में सामने आयी। जिससे एक तरफ भारत की शक्ति और सामर्थ्य में भारी बृद्धि संभावना है तो दूसरी तरफ़ भारत एक ताकत के रूप में उभर कर एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपनी चुनौतियों पर विजय पा सकता है। विकास के विभिन्न कीर्तिमान स्थापित करते हुए अपने सामर्थ्य से सम्पूर्ण विश्व को सही दिशा देने के साथ प्रभावशाली रूप से विभिन्न देशों के विकास में सहयोग कर सकता है। वहीं अमेरिका भारत को यूरेशिया की एक बड़ी ताकत के रूप में देखता है जिसकी प्रगति में सहयोग कर वह इसे इस क्षेत्र में अपना सामर्थ्यवान सहयोगी बना सकता है। दोनों देशों के बीच हुए करारों एवं नरेंद्र मोदी एवं जो बाइडेन की बॉडी लैंगुएज व आपसी केमेस्ट्री, संसद के सतुंक्त सत्र में मिले ऐतिहासिक उत्साहबर्धन के आधार पर भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिका की राजकीय यात्रा को अब तक कि सफलतम यात्राओं में से एक माना जा सकता है।

 

राजेश कुमार सिंह ✍️

स्वतन्त्र स्तम्भकार 

मऊ, उत्तर प्रदेश।

मो0 - 9415367382





  


   

  


   


   

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