*स्वार्थी रिश्ते*
"ये संसार तो बस माया है। सारे रिश्ते मात्र स्वार्थ पर टिके हैं।"---प्रवचन दे रहे थे महात्मा जी --"देखो ! इसी रिश्ते के खातिर लोग झूठ बोलते हैं, पाप करते हैं, इससे कुछ भी हासिल नहीं होता क्योंकि सबमें स्वार्थ भरा है। बस परमात्मा में डूब कर देखो, प्रेम ही प्रेम मिलेगा। मैं सिर्फ कह न…
