*स्वार्थी रिश्ते*
"ये संसार तो बस माया है। सारे रिश्ते मात्र स्वार्थ पर टिके हैं।"---प्रवचन दे रहे थे महात्मा जी --"देखो ! इसी रिश्ते के खातिर लोग झूठ बोलते हैं, पाप करते हैं, इससे कुछ भी हासिल नहीं होता क्योंकि सबमें स्वार्थ भरा है। बस परमात्मा में डूब कर देखो, प्रेम ही प्रेम मिलेगा। मैं सिर्फ कह न…
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अनजाने में किये हुये पाप का प्रायश्चित कैसे होता है?
आध्यात्मिक कहानिया :- बहुत सुन्दर प्रश्न है, यदि हमसे अनजाने में कोई पाप हो जाए तो क्या उस पाप से मुक्ती का कोई उपाय है। श्रीमद्भागवत जी के षष्ठम स्कन्ध में, महाराज परीक्षित जी, श्री शुकदेव जी से ऐसा प्रश्न कर लिए। बोले भगवन-आपने पञ्चम स्कन्ध में जो नरकों का वर्णन किया, उसको सुनकर तो गुरुवर रोंगटे …
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