*सारी नफरत बदल गयी प्यार में*
ऋतु बसंत की मादक बयार में, सारी नफरत बदल गयी प्यार में। अल्हड़ मदमस्त फागुनी बहार में, हरियाली आई घर ऑगन-दिवार में । लाल गुलाबी नीले रंगों की फुहार में, भेद-भाव मिट गया पंडित-गवाॅर में। सुरमई मौसम के सुरीले मल्हार में, अंगडाई आई सारे उजड़े दयार में । देवर-भौजाई की मिठी रसभरी रार में, आंख मिचौली चल …