बारिश के बाद जब धूप खिल जाता हैं !!
हर तरफ खुबसूरती बिखर जाती हैं !!
धरती सज धज कर नयी दुल्हन लगती हैं !!
हर पत्ते धुल जाते है !!
पत्तों पर पड़ी एक एक बूंद बारिश की !!
मानो कोई मोती चमक रही हो !!
आसमान साफ ऐसा लगता हैं !!
नयी चादरें बिछी हो !!
खुशी से चहचहाने लगती हैं !!
पंछी अपने घोसलों से बाहर आ कर !!
बाज ऊंची उड़ान पर होता हैं !!
जैसे आसमान छुने की चाहत हो !!
छोटे छोटे बछड़े खेलते है उछल उछल कर !!
गइया भी घास चरती हैं झुम झुम कर !!
झोपड़ीयों में रहने वाले बच्चे भी खेलने निकल जाते हैं !!
माँ बाप उनके अपने काम के तलास में !!
प्राकृतिक की खूबसूरती निखर जाती !!
जब बारिश के बाद धुप खिल जाती हैं !!
शांति और सुहाना मौसम लगता हैं !!
हर तरफ हरियाली और खूबसूरती दिखती हैं !!
नयी नवेली दुल्हन सी सजी धरती !!
मानो कोई बरसों से बिछड़ी हुई प्रेमिका !!
अपने प्रियतम की राह देखती हो !!
आने की खबर सुन कर ख़ुशी की गीत गुनगुनाती हो !!
सजा कर हर कोना खुद भी तैयार हो कर बैठी हो !!
मिलने को बेकरार बैठी हो !!
बृक्ष के पत्तों पर मोतीयों से सजा हैं !!
हवाऐं भी झुम झुम कर तान कोई राग गा रही हो !!
खुशी के गीत गा रही है !!
धरती की श्रृंगार में चार चाँद लगा रही हो !!
लेखिका ✍️
मीना सिंह राठौर
नोएडा, उत्तर प्रदेश।
addComments
Post a Comment