बन वही भगवान जाता है...…
खलों के क्रूर उत्पीड़न से, व्याकुल, व्यथित जीवन को, चला जो त्राण देंने, बन वही, भगवान जाता है। शिखर भूधर की ऊंची झुक, चरण में नत, विनत होकर, सतत् हिमवान से वह, उच्चतम, सम्मान पाता है। पथ-स्थित, सागरों की लहर, का तूफान, थम जाता, लहर की मंद शीतलता से, मुक्ति थकान, पाता है। पड़ी पथ में, अगर अवरोध, …