बन वही भगवान जाता है...…
खलों के क्रूर उत्पीड़न से, व्याकुल, व्यथित जीवन को, चला जो त्राण देंने, बन वही, भगवान जाता है। शिखर भूधर की ऊंची झुक, चरण में नत, विनत होकर, सतत्  हिमवान से वह, उच्चतम, सम्मान पाता है। पथ-स्थित, सागरों की लहर, का तूफान, थम जाता, लहर की मंद शीतलता से, मुक्ति थकान, पाता है।   पड़ी पथ में, अगर अवरोध, …
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‘ईद’ मुबारक विश्व का कल्याण हो..…
‘ईद’ आई  लगाने,  गले  से  तुझे, बस गले ही न लग, दिल मिला लीजिए, मेट मन की  मलिनता, कलुषता मिटा, द्वेष, पर्वत  सा  फैला, गला दीजिए। 🌺🌺🌺🌺🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌸🌸🌸🌸🌸 दिल में नफरत-घुलन, का मिटे सिलसिला, स्नेह-अमृत  की  घूंटें, पिला  दीजिए। देखो  मुर्झा  न  जाये, सु-मन-वाटिका, स्नेह-जल, सींच कर के,  खिला…
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*यह बिना भेद करती भक्षण...…*
ये हैं गरीब ‘अनजान-उदधि’, इनकी ‘अनजान, गुफाओं’ में। हैं छिपे हुए, अनमोल रत्न, भर देंगे प्रभा, दिशाओं में। ये हैं ‘कानन अनजान’, भरे, हंसते, खिलखिला ‘प्रसूनों’ से। इनकी कर सदा, उपेक्षा हम, वंचित हो गए, नमूनों से। हो सकी नहीं ‘प्रतिभा’, विकसित, खा मार, गरीबी-झोकों से। शोषण अनवरत हुआ, इनका,  ‘संभ्रांत’…
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*श्रमिक-दिवस*
यह धरा, धरोहर है उनकी, सत्कर्म-निष्ठ, संघर्ष-लीन। पत्थर पर दूब उगाते जो, वाधायें मिट, होतीं, विलीन। श्रमिक ही राष्ट्र-शिल्पी होता है परंतु आज वह उपेक्षित है। बहुत ही व्यथा होती है कि शोषण-कर्ता यह नहीं अनुभव कर सकते हैं कि शोषक और शोषित का गंतव्य -स्थल एक ही है। फिर यह शोषण क्यों? “The boast of h…
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*शिक्षा में राजा-रंक नही...…*
सत्ता-सुंदरी वरण करती, उसको जो, टहल बजाता हो। जो हो विल्कुल प्रतिभा-वंचित, हां में हां सदा मिलाता हो। इंजीनियर-डाक्टर बना रहे, कर खर्च रुपये मात्र एक। बस दलितों, आदिवासियों तक, यह कितनी घातक, घृणित-टेक। ऐसा एकांगी विश्लेषण,                                              जो करे तंत्र, जन-तंत्र नहीं।…
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यह ‘एवमस्तु’ कहना दो त्याग मेरे मौला..…
आते हो यदि भ्रमण पर, भारत में आज रघुवर, देखोगे तुम बनों को, ले प्यार उर, ‘अयोध्या’। पत्थल के शौध होंगे, वन-पर्वतों से लाये, ‘शबरी’ नहीं मिलेगी, मिलती नहीं ‘अहिल्या’। वनवास, वन की कुटिया से, प्यार है तुम्हारा, लांक्षन लगा, प्रिया पर, वन भेज दे रहे हो। कुटिया में जन्म लेते, कुश-लव, तनय तुम्हारे, कुटि…
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*मेरी ऑखे रोज बरसती हैं*
ये मौसम बारिश का अब पसंद नहीं मुझे  !! ऐ बारिश जरा खुल कर बरस !! इतनी रिमझिम तो मेरी आँखें रोज बरसती हैं !! मेरे अपने आंसू ही बहुत है !! भीग जाने के लिये !! रात भर गिरते रहे उनके दामन में मेरे आँसु !! सुबह उठते ही वो बोले कल रात बारिश गजब की थी !! तरस आता है मुझे अपनी मासूम सी पलकों पर !! जब भीग …
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*देह का समंदर*
तुम अगर देह से पार जाते तो जान पाते प्रेम को.. खारे पानी से बुझती नहीं है प्यास कभी भी.. काश कि तुमने जाना होता इस सत्य को !!! मैं युगों-युगों से खड़ी रही  इस पार लेकिन अफ़सोस !! तुम कभी भी न लांघ सके देह के इस समंदर को..! सुमन जैन ''सत्यगीता'' ✍️ साभार-विश्व हिंदी संस्थान, कनाडा।
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ले सीख ‘महाभारत’ से तुम, ‘रामायण’ गले लगा लेना...
‘त्रैलोकी’ के सर्वोच्च राज्य से, छोड़ स्वहक, तज, राग-द्वेष। दे चला, अनुज को ताज, बसा कानन, हर्षित हो त्याग क्लेश।   तज, ‘ताज’, ‘पादुका’ अग्रज का,  ले अनुज कर रहा, पारायण। अनुलंघनीय, प्रतिमान बनी,  मर्यादा–युत हो, ‘रामायण’। लुट गया जहां हो धर्म–राज्य, छल‌-छद्म-जुए के, पाशो में। लुटती अबला की इज्जत ह…
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जो भी दीनों की ब्यथा हरे, मेरी कविता का नायक है.....
मैं कवि हूं, कविता करता हूं, उसमें सारा ब्रह्माण्ड, लीन। जो यहां, वही सर्वत्र, यहां जो, नहीं, हो गया, वह विलीन। दुख-दग्ध प्राणि के उर रोती, पीड़ा की राग, सुनाता हूं। वेदना, विलख कर सिसक रही, संवेदन-भाव, जगाता हूं। कौशला-गोद में, बैठ राम, होंगे मेरे न, उपास्य कहीं। जो राज-महल में चहक रहे, वे सारे है…
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*स्त्री*
केवल देह नहीं होती बाबू ! उसमें आत्मा भी होती है, भावना भी होती है वह माँ बनकर लुटाना चाहती है अपने हृदय की सारी ममता बहन के रूप में राखी बनकर बचाना चाहती है तुम्हें सारी अशुभताओं से.. बेटी बनकर अपने नन्हें पांवों की पायल की रूनझुन से हर लेना चाहती है तुम्हारे जीवन के सूनेपन को लेकिन, अफसोस ! तुम…
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*तुम्हारा आना*
तुम्हारा मेरे जीवन में आना प्रार्थनाओं का मौन हो जाना है, जिस दिन से तुम आये हृदय की सारी व्यथाएँ परिवर्तित हो गई चिरस्थाई आनन्द में, सुख-दुख से परे यह आनन्द उत्सव बन झलकता है  मेरे अधरों पर खिल जाता है मधुर मुस्कान बनकर गीत बनकर प्रस्फुटित होता है अनायास ही बन्द नयनों से निहारती हूँ हर पल, हर क्…
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*जिंदगी के एक एक पल*
जिंदगी के एक एक पल, होते बहुत अनमोल संजोए रखो इसको छुट, कभी हाथ से न जाए गुनगुनाओ नग्में कभी, खामोश हो न जाओ सफर हो लंबा जितना, मंजिल न दूर जाए नफ़रत करने वाले, नफ़रत ही करते जाएं हम प्यार हैं लुटाते, लुटाते प्यार ही हम जाएं कभी थककर आसमां भी, उतर जमीं पे आए खुशियों से अपना दामन, क्यूं न भरते जाए…
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*सियासत*
मत समझों खुशहाल सियासत। मक्कारी का जाल सियासत।। आशाओं के ख़्वाब दिखाकर, छीने रोटी दाल सियासत। ओढ़ें बैठे नेता सारे, भेड़ों की ये खाल सियासत। रोज नए घोटालें करती, हड़प गई सब माल सियासत। कुर्सी की खातिर है चलती, ऐसी-वैसी चाल सियासत। भाई भतीजावाद यहाँ पर, लोकतंत्र बस, ढाल सियासत। झूठे वादे, झूठी बातें, झू…
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**आहट तीसरे युद्ध की**
युद्ध तीसरे की आहट से वर्तमान घबराया है । भूतकाल के अनुभव से क्या सीख विश्व ले पाया है ।। दो देशों का युद्ध विकट संहार धरा पर जारी है । ताइवान, तिब्बत, पीओके सुलग रही चिंगारी है । बारूदी हथियारों का धरती पर नर्तन दिखता है । एक पक्ष को अमरीका से खुला समर्थन दिखता है । राख हुआ यूक्रेन युद्ध में जर्…
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मुहब्बत उनसे करो जिन्हें आपको इम्प़ेस करना ना पड़े !!
जो इंसान आपके बुरे वक्त में आपके साथ नही था !! उसे आपके अच्छे वक्त में भी आपके साथ रहने का !! कोई अधिकार नही !! कोई ऐसा इंसान चाहिए जो दिल से बात करे दिल !!  रखने के लिये नहीं !! चाहे आप लाख कसमे दे दो !! जाने वाले चले ही जाते हैं !! मुहब्बत उनसे करो जिन्हें आपको इम्प़ेस करना ना पड़े !! जो आपके दिल…
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हम ना पा सके तुझको मुद्दतो चाहने के बाद....
हम ना पा सके तुझको मुद्दतो चाहने के बाद !! किसी गैर ने तुझे अपना बना लिया चंद रस्में निभाने के बाद !! मेरे सज़दों में कोई कमी तो न थी ऐ खुदा !! क्या मुझसे भी ज्यादा किसी और ने चाहा था उसे !! लिख दे मेरा अगला जन्म भी उसके नाम पर ए खुदा!! इस जन्म में हमारा इश्क थोड़ा कम पड़ गया !! तुझसे दूर जाने का कोई…
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