तुम्हारा मेरे जीवन में आना
प्रार्थनाओं का मौन हो जाना है,
जिस दिन से तुम आये
हृदय की सारी व्यथाएँ
परिवर्तित हो गई चिरस्थाई आनन्द में,
सुख-दुख से परे यह आनन्द
उत्सव बन झलकता है
मेरे अधरों पर खिल जाता है मधुर मुस्कान बनकर
गीत बनकर प्रस्फुटित होता है अनायास ही
बन्द नयनों से निहारती हूँ
हर पल, हर क्षण एक तुम्हें ही
तुम्हारा होना
मुझे मुक्त करता है
स्वयं के होने से
उन समस्त प्रार्थनाओं से
जिसमें शामिल रही मेरी
समस्त कामनाओं की मौन पुकार।
सुमन जैन ''सत्यगीता''✍️
साभार-विश्व हिंदी संस्थान, कनाडा।
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