ये मौसम बारिश का अब पसंद नहीं मुझे !!
ऐ बारिश जरा खुल कर बरस !!
इतनी रिमझिम तो मेरी आँखें रोज बरसती हैं !!
मेरे अपने आंसू ही बहुत है !!
भीग जाने के लिये !!
रात भर गिरते रहे उनके दामन में मेरे आँसु !!
सुबह उठते ही वो बोले कल रात बारिश गजब की थी !!
तरस आता है मुझे अपनी मासूम सी पलकों पर !!
जब भीग के कहती है की अब रोया नहीं जाता !!
सूखे पत्तों की तरह बिखरे थे हम !!
ऐ दोस्तो किसी ने समेटा भी तो जलाने के लिए !!
मेरे ज़ज्बात की कदर ही कहाँ !!
सिर्फ इलज़ाम लगाना ही उनकी फितरत है !!
चाहते तो दिल की किताब खोल भी देते हम !!
मगर उस पढ़ने वाले को फुरसत ही नहीं थी !!
ताल्लुक हो तो रूह से रूह का हो !!
दिल तो अक्सर एक दूसरे से भर जाया करते है !!
क्या कहुँ मैं की कहने को शब्द नहीं मिल रहे !!
चलो आज ख़ामोशी ही महसुस कर लो !!
आवाज करके रोना तो मुझे आज भी नहीं आता !!
काश तूने मेरी खामोश सिसकियाँ ही सुन ली होती !!
रहने दो तुमसे क्या शिकवा करु !!
तम तो कभी थे ही नहीं मेरे !!
पता नहीं क्यो इस दिल ने तुझ पर भरोसा किया !!
तुझको ही अपना माना !!
अलविदा नहीं कहुंगी !!
तेरा इंतजार करती रहुंगी.....
मीना सिंह राठौर
नोएडा उत्तर प्रदेश।
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