बलिया। क्रिमिनल एंड रेवेन्यू बार एसोसिएशन बलिया के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. निर्भय नारायण सिंह ने एक भेंट वार्ता के दौरान अधिवक्ता समाज की भूमिका, अधिकारों और सरकारी उपेक्षा को लेकर कई अहम सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता केवल पेशेवर नहीं, बल्कि समाज और न्याय व्यवस्था के मजबूत स्तंभ हैं, इसके बावजूद उनके लिए आज तक कोई ठोस और सम्मानजनक सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था नहीं बनाई गई है।
डॉ. सिंह ने कहा कि यदि अभियोजन पक्ष का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करती है, तो फिर अभियुक्त पक्ष को भी अपने सुविधा और पसंद के अधिवक्ता रखने का समान अधिकार क्यों नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि जब कानून सभी को समान न्याय का अधिकार देता है, तो वादी और अभियुक्त—दोनों पक्षों को सरकार द्वारा समान अवसर और सहायता क्यों नहीं दी जाती।
उन्होंने आगे कहा कि अधिवक्ता का कार्य पूरी तरह सामाजिक और सार्वजनिक हित से जुड़ा हुआ है। वकील न्यायपालिका और जनता के बीच सेतु का काम करता है। गरीब, कमजोर और वंचित वर्ग के लोगों को न्याय दिलाने में अधिवक्ताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद, उनके भविष्य की सुरक्षा को लेकर सरकारें लगातार उदासीन बनी हुई हैं।
डॉ. निर्भय नारायण सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राज्य सरकार को केवल वादी पक्ष की शुभचिंतक बनकर नहीं रहना चाहिए, बल्कि निष्पक्ष न्याय व्यवस्था के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध होना चाहिए। वकील समाज न्याय प्रणाली की एक मजबूत आधारशिला है और अधिवक्ता सरकार को निष्पक्ष न्याय दिलाने में निरंतर सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में सरकार की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अधिवक्ता समाज की चिंताओं, सुरक्षा और सम्मान को लेकर गंभीरता दिखाए।
उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं और पेंशन मिलती हैं, उसी तरह अधिवक्ताओं को भी एक सम्मानजनक पेंशन योजना मिलनी चाहिए। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या अधिवक्ता समाज का कार्य राजनीति से कम महत्वपूर्ण है? यदि नहीं, तो फिर उनके लिए सामाजिक सुरक्षा और पेंशन की व्यवस्था क्यों नहीं?
डॉ. सिंह ने कहा कि अधिवक्ता न्याय के लिए संघर्ष करता है, कई बार आर्थिक तंगी, मानसिक दबाव और सामाजिक चुनौतियों का सामना करता है, फिर भी समाज के हित में लगातार कार्यरत रहता है। ऐसे में अधिवक्ताओं को केवल ‘पेशेवर’ मानकर छोड़ देना न्यायोचित नहीं है।
अंत में उन्होंने सरकार से मांग की कि अधिवक्ता कल्याण योजनाओं को और अधिक मजबूत किया जाए तथा मुफ्त कानूनी सहायता के साथ-साथ अधिवक्ताओं के लिए स्थायी पेंशन, स्वास्थ्य बीमा और सामाजिक सुरक्षा की ठोस व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि न्याय व्यवस्था को और अधिक सशक्त, संतुलित और निष्पक्ष बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि जब तक अधिवक्ता सुरक्षित और सम्मानित नहीं होंगे, तब तक आम जनता को भी पूर्ण और निष्पक्ष न्याय मिलना कठिन होगा।


0 Comments