*बेटियां*
बेटियां, विदा नही होतीं, वे रह जाती हैं, मां, पिता के घर याद बनकर, एक मूक संवाद बनकर, भावनाओं में बसती हैं पिता की, संवेदनाओं में पलती हैं पिता की मां बनती हैं  तो मां की गोद बनती है पालती है बच्चे, बड़ा करती हैं उन्हें अपने आंचल की छांव देकर,  छाती का अमृत पिलाकर वे विदा होकर भी, रह जाती हैं मां, …
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*पुलवामा हमला*
आज 14 फरवरी का दिन प्रेम दिवस के लिए ही, क्यों?? ये दिन रहता है याद। पुलवामा हमला क्या भूल गए ? जो सिर्फ प्रेम दिवस की ही करते हो बात। क्या भूल गए उन मांओं की चीत्कार? जिन्होंने खोए थे अपने लाल। उन बच्चों की गूँज, जिन्होंने खो दिया था पिता का साया। उस बहन की तड़प, जिस भाई ने बहन को, दिया था रक्ष…
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आया बंसत लेकर यौवन मधुर और मदमस्त राग
आया बंसत लेकर यौवन मधुर और मदमस्त राग, खिल उठे घर-ऑगन, वन, बाग, सरोवर तडाॅग। झुरमुटों से कोयल कूंजे और मुंडेर से बोले काग, बाजे मृदंग, नाचे मयूर और गूंजे चहुंओर फाग़। सुन्दरियाॅ हर्षित हुई पाकर अपने-अपने सुहाग, पर बिरहनियाॅ दिखलाती अपने दिल के गहरे द़ाग।  आया बंसत लेकर यौवन मधुर और मदमस्त राग। पुलक…
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हर बुढापे की लाठी, सहारा और साथी हैं पुरानी पेंशन
हर बुढापे की लाठी, सहारा और साथी है पुरानी पेंशन  ढलती लुढकती जिन्दगियों का कुशल सारथी हैं पुरानी पेंशन।  महर्षि विश्वामित्र, गुरु वशिष्ठ, गुरु द्रोणाचार्य की तरह ज्ञान गंगा बनाने वालों का  अनगिनत  नालंदाओं, बोधगयाओं और तक्षशिलाओं में तपस्या करने वालों का  अपने ज्ञान, प्रज्ञा और बोध से अनगिनत पीढिय…
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यातायात
यातायात पुलिस पर सब न लगाओ दोष  खुद गाड़ी सही से चलाओ रहो अपने होश  अपनी साईड गाड़ी चलाना है  कन्ट्रोल में रहे गाड़ी इतनी स्पीड में चलाना है  बैंक दफ्तर स्कूल कालेजों कार्यालय में जाना है  आधा घंटे पहले घर से निकल आना है ताकि बिना दुर्घटना से बचकर सही सलामत आफिस पहुंच जाना है दो पहिया वाहन पर हेल्म…
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*बेटी दिवस !!!!!*
सरस्वती का मान हैं बेटियाँ !! देवी का रूप देवो के मान हैं बेटियाँ !! परिवार के कुल को जो रोशन करे !! वो चिराग हैं बेटियाँ !! खिलती हुई कलियां हैं बेटियाँ !! माँ बाप के दर्द को समझती है बेटियाँ !! हर दर्द सह कर भी सबको खुश रखती है !! ऐसी होती हैं बेटियाँ !!! मायके में रहती हैं तो बेटी बन कर !! सबक…
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अब तक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे-
अब तक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे।  गंगा-यमुना की लहरों सा जन-जन में नयी उमंग रहे, आशाओं पर लहराता जीवन रग-रग में नयी तरंग रहे, उम्मीदों का हो हरदम बसंत, मन में आशा उत्कर्ष रहे। अबतक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे।  हर बाॅग-तडाॅग में सावन हो, हर ऑगन हरा-भरा रहे, सृष्टि का श्रृं…
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स्वागतम :- नूतन वर्ष 2023
पूर्व वर्ष 2022 : बिसारें सारे अशुभ पल बिसारें सारे गिले-शिकवे  बिसारें सारे भूल-चूक  नूतन वर्ष 2023 : स्वागत करें, वंदन करें  अभिनंदन करें आशान्वित रहें  शुभ पल व शुभ समाचार हेतु  मनन करें व गहन चिंतन करें  और  कार्य करें, उपकार करें  आशा व विश्वास है  खुशियाँ दस्तक देंगीं आत्मसंतुष्टि का बोध हो…
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*नूतन वर्ष में खुशियों का लिफाफा*
नूतनवर्ष की बेला को, ये जग सारा निहार रहा है। नव उत्साह और उमंगों के संग, ह्रदय में सबके उतर रहा है। मृदुल, मनोरम स्वप्न संजोकर,  दिल की पगडंडी पर डोल रहा है। इस वर्ष स्वप्न हो जायें पूरे, यही कामना कर रहा है। अपने हर गम को भुलाकर,  खुशीयों का लिफाफा खोल रहा है। आने वाले कल में अपनी, जीवन मे अमृत र…
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बेटियों को विरासत नही चाहिए !!
शादी के बाद हर लड़की चाहती है !! की उसके पिठ पीछे मायके की एक  मजबूत दीवार हो !! कुछ ना भी मिले फिर भी !! ऐ एहसास हो मेरे मायके वाले मेरे साथ हैं !! तीज त्योहार पर मायके से कोई आये !! साड़ी कपड़े मिठाईयों के साथ !! ससुराल में गर्व से बोलती हैं !! मेरे मायके से आया है !! मायके से एक बटोहिया भी आ ज…
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*जीवन एक बुलबुला पानी है*
सफलता व असफलता तो आनी जानी है। इस धरा पर आना ही "जीवन एक बुलबुला पानी" है ।। असफलता से जिसने कभी हार नही मानी है। मुस्करा कर जो जीता है, वही सफलता की निशानी है।। सुख-दुःख तो जीवन की कहानी है। एक बनी दीया, तो दूजी बनी बाती है।। लक्ष्य को साध, जो उर में दीप जलाता है। एक न एक दिन असफलता को अ…
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कोई तो हो.....
कोई तो हो सुने मुझे बिना जज किये  कोई तो हो जिससे कह सकूं बातें मन की  कोई तो हो जिसका होना भर ही सुकून हो  कोई तो हो जिसके कंधे पर सर रख कर सकूँ  कोई तो हो जिसके लगे लग कर जी भर रो सकूँ  कोई तो हो जिसके लिये एक देह से ज्यादा हो सकूँ  कोई तो हो जिससे सारे ख्वाब कह सकूँ  कोई तो हो जो मेरे ख्वाबों को…
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शब्दों को कैसे सजा दिया !!
बड़ी ही खुबसूरती से शब्दों को सजाया !! लफ्ज कुछ और थे मतलब कुछ और बनाया !! घमंड बहुत हैं उसे आत्म सम्मान का नाम दिया !! लालच को अपनी जरुरत बता दिया !! दिखावे को और भी खुबसूरती से सजा दिया !! गर्व हैं हमे ऐसे बता दिया !! धोखा दिया और खुद सही साबित कर दिया !! मजबूरियों के जामा पहना दिया !! गवन को भी …
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जीवन एक उपहार है कल्पना एक विचार है
कल्पना, विचार है मस्तिष्क का आहार है नकारात्मकता, है अवगुण इसका सकारतकता, उपहार है कल्पना, उद्देश्य हो यदि दृढ़ता वा सुकर्म से जुड़ी जीवन में सफल मंजिल का यही, प्रवेश द्वार है साहित्य सृजन में, महत्वपूर्ण है रचती, खंड काव्य व महाकाव्य  भी लेख, निबंध, कथा, उपन्यास या नाटक और सिनेमा, कोई भी व्यापार ह…
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टुकड़ों में नही चाहिये बेटियाँ !!
क्या कमी रही संस्कार में मेरी !! की टुकड़ों में मिली बेटी मेरी !! चुक तो हुई हमसे परवरिश में !! कसूर भी हैं हमारी !! वक्त रहते रोका और टोका होता !! हर गलती को नजर-अंदाज ना किया होता !! लड़के मित्रों के साथ तुम्हे खेलने से रोका होता !! सारे जतन कर के तुम्हे बचाया होता !! आज टुकड़ों में नहीं तुमको …
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बच्चों को विरासत में जायदाद नहीं संस्कार दिजिए !!
संस्कार हिन बच्चे ही समाज को दुषित करते हैं !! और इसके जिम्मेदार कुछ हद तक माँ बाप ही होते हैं !! चाहें वो किसी भी धर्म का हो !! किसी भी जाति का हो !! आजकल लोग अपने बच्चों को मार्डन बनाने के चक्कर में  अपने संस्कार से दुर करते जा रहे हैं !! हम ये नहीं देखते हैं कि हमारा बच्चा कैसे लोगों के साथ रह…
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"दो कदम"
साथ चलने वाले आचानक आपको पीछे छोड़ दे !! तेज कदमों से आगे निकल जाये !! आप अपनी कदम बढ़ा लेते हैं !! उसके कदम से कदम मिलाने के लिए !! लेकिन फीर भी पिछे पिछे चलते हैं !! तब बहुत अज़ीब लगता हैं !! हम समझ नहीं पाते है !! कि हमारी चाल धीमी पड़ गयी !! या साथ चलने वाला तेज नीकल गया !! साथ चलते चलते आगे नि…
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धरती बनी दुलहन
बारिश के बाद जब धूप खिल जाता हैं !! हर तरफ खुबसूरती बिखर जाती हैं !! धरती सज धज कर नयी दुल्हन लगती हैं !! हर पत्ते धुल जाते है !! पत्तों पर पड़ी एक एक बूंद बारिश की !! मानो कोई मोती चमक रही हो !! आसमान साफ ऐसा लगता हैं !! नयी चादरें बिछी हो !! खुशी से चहचहाने लगती हैं !! पंछी अपने घोसलों से बाहर आ …
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इश्क करने वाले या तो इतिहास बनाते या खूबसूरत ताजमहल तामीर करते
इश्क को दुनिया नाहक भला-बुरा कहती हैं, इश्क को लोग-बाग नाहक ही निक्कमा निट्ठल्ला कहते रहते हैं? अच्छा तो वह होता है जो किसी चेहरे, किसी लक्ष्य और किसी उद्देश्य को हासिल करने के लिए  एकाग्रचित, एकनिष्ठ और लक्ष्यबद्ध, कटिबद्ध और रूहानी तौर से प्रतिबद्ध होता हैं।  तड़पते तरसते व्याकुल बेचैन इश्क में ऐ…
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अंजुल भर भावों के मोती
स्वर्ण किरणों को धरा पे देख, आज दिल मेरा मचल रहा है। मानो ऐसा लगता है जैसे अम्बर धरा से मिल रहा है। लालिमा लिए हुए भोर की मेरा मन गदगद हो रहा है। जीवन के इस गलियारे में, मधु, सुधा, रस घोल रहा है।  छोड़ निशा की कालिमा को,  इंद्रधनुष सा फैल रहा है। गर छूट गयी उर की आशाएं, नयी उमंग भर रहा है। एक अनछुआ …
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