*बेटियां*
बेटियां, विदा नही होतीं, वे रह जाती हैं, मां, पिता के घर याद बनकर, एक मूक संवाद बनकर, भावनाओं में बसती हैं पिता की, संवेदनाओं में पलती हैं पिता की मां बनती हैं तो मां की गोद बनती है पालती है बच्चे, बड़ा करती हैं उन्हें अपने आंचल की छांव देकर, छाती का अमृत पिलाकर वे विदा होकर भी, रह जाती हैं मां, …