*नूतन वर्ष में खुशियों का लिफाफा*


नूतनवर्ष की बेला को,

ये जग सारा निहार रहा है।

नव उत्साह और उमंगों के संग,

ह्रदय में सबके उतर रहा है।


मृदुल, मनोरम स्वप्न संजोकर, 

दिल की पगडंडी पर डोल रहा है।

इस वर्ष स्वप्न हो जायें पूरे,

यही कामना कर रहा है।


अपने हर गम को भुलाकर, 

खुशीयों का लिफाफा खोल रहा है।

आने वाले कल में अपनी,

जीवन मे अमृत रस घोल रहा है।


अपने जीवन मे अपनों की, 

प्रेम की गठरी बांध रहा है।

अपने अंतर्मन की चाहत को, 

अपनों में भी बाँट रहा है।


एक गुहार है बस ईश्वर से, 

सबके जीवन में खुशहाली आये।

राग, द्वेष, क्लेश की भावना,

तनिक भी फटक न पाये।


मानसी मित्तल ✍️

शिकारपुर जिला बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश।



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