हर बुढापे की लाठी, सहारा और साथी हैं पुरानी पेंशन



हर बुढापे की लाठी, सहारा और साथी है पुरानी पेंशन 

ढलती लुढकती जिन्दगियों का कुशल सारथी हैं पुरानी पेंशन। 

महर्षि विश्वामित्र, गुरु वशिष्ठ, गुरु द्रोणाचार्य की तरह ज्ञान गंगा बनाने वालों का 

अनगिनत  नालंदाओं, बोधगयाओं और तक्षशिलाओं में तपस्या करने वालों का 

अपने ज्ञान, प्रज्ञा और बोध से अनगिनत पीढियाँ सवारने वालों का,

हमारी सभ्यता और संस्कृति की अनमोल धरोहर है बुद्धिमान बुजुर्ग 

हर बुजुर्ग के चेहरे की चमक और होठों की मुस्कान है पुरानी पेंशन।  

सृजन, रचना, निर्माण, उन्नति, प्रगति और विकास के पथ पर 

अपना सारा ऊर्जस्वित जीवन समर्पित करने वालों का

योजनाओं, परियोजनाओं को जीवंतता प्रदान करने वालों का, 

सरकारी नीतियों और निर्णयों को जमीन पर उतारने वालों का,

राष्ट्र की बहुविवीध बहुआयामी प्रतिभाओं और परिश्रमियों का स्वाभिमान हैं पुरानी पेंशन। 

कल कारखानों में स्वयं को तपाकर, लौह अयस्क गलाकर 

अनगिनत तरक्क़ी के करिश्माई औजार बनाने वालों का 

चट्टी चौराहों पर सुरक्षा के लिए अपनी जान लुटाने वालों का,

राष्ट्रवाद से अनुप्राणित सरहद पर मर मिटने वाले जवानों का

वतनपरस्ती और ईमानपरस्ती की बेहतर पहचान है पुरानी पेंशन। 

मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता ✍️

बापू स्मारक इंटर काॅलेज दरगाह मऊ।



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