कोई तो हो.....


कोई तो हो सुने मुझे बिना जज किये 

कोई तो हो जिससे कह सकूं बातें मन की 

कोई तो हो जिसका होना भर ही सुकून हो 

कोई तो हो जिसके कंधे पर सर रख कर सकूँ 

कोई तो हो जिसके लगे लग कर जी भर रो सकूँ 

कोई तो हो जिसके लिये एक देह से ज्यादा हो सकूँ 

कोई तो हो जिससे सारे ख्वाब कह सकूँ 

कोई तो हो जो मेरे ख्वाबों को ख्वाब समझे 

कोई तो हो जो अधुरे ख्वाबों की बेचैनी समझे 

कोई तो हो जो चालाकी से मेरे कोई ख्वाब ना तोड़ें 

कोई तो हो जिसे तन से ज्यादा मन देखने की चाहत हो 

कोई तो हो जिससे तन के घाव छुपाना ना पड़े 

कोई तो हो जो तन के घाव को कुरुपता नही विकट परिस्थितियों मे संघर्ष का पुरस्कार समझे 

कोई तो हो जो मुझे ना कम ना ज्यादा 

जैसे हम है वैसा ही इंसान समझे 

कोई तो हो ... 


रंजना यादव, बलिया।



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