दीपक हुँ !!
दीपक हुँ मैं जलना मेरी मुकद्दर हैं !! कभी खुशियों में जला तो कभी गम में जला !! गरीबो के आँगन में रोशनी के लिए जला !! अमीरों के हवेली में सजावट बन कर जल !! जनमदिन पर मोमबत्ती बन कर जला !! तो कभी किसी की श्रद्धांजलि में दिये में जला !! जिंदगी में सबकी रोशनी दिया !! खुद को जला जला के पिघला दिया !! कि…