तू तो रहम कर इस दर्दे दिल पर, बड़ा बेरहम हैं तू भी औरो की तरह.....



ऐ बादल मेरी आँखे तुम ही रख लो...

 कसम सें बड़ी माहिर हैं बरसने में..


तुझे लगता है कि तु बहुत बरसता  हैं!!

तुझसे ज्यादा मेरी आँखें रोज बरसती हैं !!


ना बिजली चमकती है ना बादल गरजता है !!

फिर भी लेकिन रोज बरसती हैं !!


तु तो बरसात के मौसम में बरसता है !!

मेरी आँखो के बरसने का कोई मौसम नहीं !!


तु बरसने से पहले जोर जोर से गरजता हैं !!

मेरी आँखें तो छीप छीप कर बरसती हैं !!


तु बरसता है तो मौसम में बहार आ जाती हैं !!

मेरी आँखे बरस बरस के हार जाती हैं !!


तु बरसता हैं तो बाहर के मौसम सुहाने लगते हैं !!

लेकिन मेरे दिल में तो अब भी पतझड़ हैं !!


बारिश की बुंदे जैसे पुछ रही हैं !!

चलो देखते है कौन तेज बरसता हैं !!


इठला कर इतरा झुम झुम के बरसती हैं !!

जैसे हमे चिढ़ा रही हैं !!


इतना इठला कर ना बरस ये बादल !!

तेरे बरसने से मुझे याद आ जाते हैं ओ दिन !!


बरस के तु तो चली जायेगी !!

मेरी आँखें बरसती रह जायेगी !!


तू तो रहम कर इस दर्द दिल पर !!

बड़ा बेरहम हैं तू भी औरो की तरह !!


पपिहा तो तेरे बरसने से खुश होता हैं !!

अपनी सखी के संग गीत गाता है !!


मोर भी अपनी मोरनी के संग !!

झुम झुम कर नाचता हैं !!


मेरी आँखे तो रोज बरसती हैं !!

उसकी दीदार के लिए !!


वीरान जंगल हैं मेरी आँखें !!

जहाँ तेरे बरसने से कोई फुल नहीं काँटों का ही बसेरा होगा !!


 मीना सिंह राठौर

 नोएडा, उत्तर प्रदेश।  



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