क्या श्रीलंका में सच में रावण की लंका के कुछ सबूत अभी हैं?






भाग-2


जी हां श्रीलंका में आज भी रावण की लंका के अवशेष मौजूद हैं। श्रीलंका का इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर और वहां के पर्यटन मंत्रालय ने मिलकर रामायण से जुड़े ऐसे 50 सल ढूंढ लिए हैं। जिनका पुरातत्विक और ऐतिहासिक महत्व है और जिनका रामायण में भी उल्लेख मिलता है। श्रीलंका में वह स्थान ढूंढ लिया गया है, जहां रावण की सोने की लंका थी। अशोक वाटिका, राम-रावण युद्ध भूमि, रावण की गुफा, रावण के हवाई अड्डे, रावण का शव, रावण का महल और ऐसे 50 रामायणकालीन स्थलों की खोज करने का दावा ‍किया गया है। बाकायदा इसके सबूत भी पेश किए गए हैं।


सीता एलिया : सीता एलिया श्री लंका में स्थित वह स्थान है जहां रावण ने माता सीता को बंदी बना कर रखा था। माता सीता को सीता एलिया में एक वाटिका में रखा गया था जिसे अशोक वाटिका कहते हैं। वेरांगटोक से सीता माता को जहां ले जाया गया था उस स्थान का नाम गुरुलपोटा है जिसे अब 'सीतोकोटुवा' नाम से जाना जाता है। यह स्थान भी महियांगना के पास है। एलिया पर्वतीय क्षेत्र की एक गुफा में सीता माता को रखा गया था जिसे 'सीता एलिया' नाम से जाना जाता है। यहां सीता माता के नाम पर एक मंदिर भी है। यह मंदिर सीता अम्मन कोविले नाम से प्रसिद्ध है।


सीता एलिया में रावण की भतीजी त्रिजटा, जो सीता की देखभाल के लिए रखी गई थी, के साथ सीता को रखा गया था। यह स्थान न्यूराएलिया से उदा घाटी तक जाने वाली एक मुख्य सड़क पर 5 मील की दूरी पर स्थित है।


इस क्षेत्र में लाखों की तादाद में आज भी अशोक के लंबे-लंबे वृक्ष विद्यमान हैं। अशोक वृक्षों की अधिकता होने के कारण ही इसे अशोक वाटिका कहा जाता है। मंदिर के पास ही से 'सीता' नाम से एक नदी बहती है जिसका निर्मल और शीतल जल पीकर लोग खुद को भाग्यशाली समझते हैं। नदी के इस पार मिट्टी का रंग पीला है तो उस पार काला। मान्यता अनुसार उस पार के क्षेत्र को हनुमान जी ने अपनी पूंछ से लगा दिया था।


इस स्थान की शिलाओं पर आज भी हनुमानजी के पैरों के निशान देखे जा सकते हैं। कार्बन डेटिंग से इसकी उम्र लगभग 7 हजार वर्ष पूर्व की आंकी गई है। यहां सीता माता के मंदिर में राम, लक्ष्मण, हनुमान जी और सीताजी की जो मूर्तियां रखी हैं उनकी कार्बन डेटिंग से पता चला कि वह भी 5,000 वर्ष पुरानी है। आज जिस स्थान पर मंदिर है वहां कभी विशालकाय वृक्ष हुआ करता था जिसके नीचे माता सीता बैठी रहती थीं।


रावण का महल : श्रीलंका में नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास स्थित रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल आदि की पुरातात्विक जांच से इनके रामायण काल के होने की पुष्टि होती है।


सीता एलिया में स्थित अशोक वाटिका से कुछ दूर ही रावण का महल स्थित था। कहा जाता है कि लंकापति रावण के महल, जिसमें वह अपनी पटरानी मंदोदरी के साथ निवास करता था, के अब भी अवशेष मौजूद हैं। इस महल को पवनपुत्र हनुमान जी ने लंका के साथ जला दिया था। यह जला हुआ महल आज भी मौजूद है।


'रावण एल्ला' नाम से एक झरना है, जो एक अंडाकार चट्टान से लगभग 25 मीटर अर्थात 82 फुट की ऊंचाई से गिरता है। 'रावण एल्ला' वॉटर फॉल घने जंगलों के बीच स्थित है। यहां 'सीता' नाम से एक पुल भी है। इसी क्षेत्र में रावण की एक गुफा भी है जिसे 'रावण एल्ला' गुफा के नाम से जाना जाता है। यह गुफा समुद्र की सतह से 1,370 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थान श्रीलंका के बांद्रावेला से 11 किलोमीटर दूर है।


लोरानी सेनारत्ने, जो लंबे समय तक श्रीलंका के इतिहास और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से संबंधित रही हैं और श्रीलंका की इटली में राजदूत भी रह चुकी हैं, ने अपनी पुस्तक 'हेअरस टू हिस्ट्री' में पहले 2 भाग रावण पर ही लिखे हैं। उनके अनुसार रावण 4,000 वर्ष ईसा पूर्व हुआ था। रावण चमकते हुए दरवाजे वाले 900 कमरों के महल में निवास करता था। देश के अन्य भागों में उसके 25 महल या आरामगाहें थीं। (-डॉ. विद्याधर की शोध पुस्तिका 'रामायण की लंका' से अंश।)


यहां रखा है शव! : ऐसा माना जाता है कि रैगला (रानागिल) के जंगलों के बीच एक विशालकाय पहाड़ी पर रावण की गुफा है, जहां उसने घोर तपस्या की थी। यह स्थान श्रीलंका के बांद्रावेला से 11 किलोमीटर दूर है।


अगस्त, 1971 में एक बौद्ध भिक्षु ने दावा किया था कि एक पर्वत शिखर पर बने सुदृढ़ किले में रावण का शव अपनी पूर्व अवस्था में अब भी सुरक्षित रखा हुआ है।


उसी गुफा में आज भी रावण का शव सुरक्षित रखा हुआ है। रैगला के घने जंगलों और गुफाओं में कोई नहीं जाता है, क्योंकि यहां जंगली और खूंखार जानवरों का बसेरा है।


रैगला के इलाके में रावण की यह गुफा 8 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। जहां 17 फुट लंबे ताबूत में रखा है रावण का शव। इस ताबूत के चारों तरफ लगा है एक खास लेप जिसके कारण यह ताबूत हजारों सालों से जस का तस रखा हुआ है।


गौरतलब है‍ कि मिस्र में प्राचीनकाल में ममी बनाने की परंपरा थी, जहां आज भी पिरामिडों में हजारों साल से कई राजाओं के शव रखे हुए हैं। यह भी जानना जरूरी है कि उस समय शैव संप्रदाय में समाधि देने की रस्म थी और रावण एक शिवभक्त था।


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