वो अक्सर मुझसे पूछते है !!
तुम शायर कैसे बने !!
मैं कहती हूँ कुछ आँसू कागज़ पर गिरे और छप गए !!
मैं अभी तक समझ ना सकी तेरे इन फैसलो को ऐ खुदा !!
उसके हक़दार हम नहीं या हमारी दुआओ में दम नहीं !!
सब कुछ बदला बदला था जब बरसो बाद मिले !!
हाथ भी मीला ना सके वो इतने पराये से लगे !!
कमबख्त दिल तैयार ही नहीं होता उसे भूलने के लिए !!
मैं उसके आगे हाथ जोड़ती हूँ !!
और वो मेरे पाँव पड़ जाता है !!
न जाने किसके रंग में रंगा होगा वो आज !!
दिल यही सोच के जल जाता है !!
समझ नहीं आता की वफ़ा करे तो किससे करे !!
मिट्टी से बने ये लोग कागज़ के चंद टुकड़ो पे बिक जाते है !!
लिख देना ये अल्फाज मेरी कबर पे !!
मौत अच्छी है मगर दिल का लगाना अच्छा नहीं !!
अचानक चौंक उठे नींद से हम !!
किसी ने शरारत से कह दिया की सुनो वो मिलने आये है !!
हम रोज उदास होते है और शाम गुजर जाती है !!
किसी रोज शाम उदास होगी और हम गुजर जायेगे !!
अगर मैं मर भी जाऊँ तो उसे खबर ना करना दोस्तो !!
अगर वो रो उठे तो ये दिल फिर से धडक उठेगा !!
इस उम्मीद में कही मेरे बीना तन्हा ना हो जाये !!
मीना सिंह राठौर ✍️
नोएडा, उत्तर प्रदेश।
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