अब तक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे-


अब तक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे। 

गंगा-यमुना की लहरों सा जन-जन में नयी उमंग रहे,

आशाओं पर लहराता जीवन रग-रग में नयी तरंग रहे,

उम्मीदों का हो हरदम बसंत, मन में आशा उत्कर्ष रहे।

अबतक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे। 

हर बाॅग-तडाॅग में सावन हो, हर ऑगन हरा-भरा रहे,

सृष्टि का श्रृंगार अलौकिक प्रकृति का यौवन बना रहे। 

वसुंधरा का कण-कण पुलकित हर हृदय में हर्ष रहे। 

अब तक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे। 

जर्रे'-जर्रे मे गेंदा गुलाब गुड़हल केसर की महक रहे,

बागीचे में कोयले कूंजे बुलबुल की मस्तानी चहक रहे। 

नफरत का नामो-निशान न हो, ना कोई संघर्ष रहे। 

अब तक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे। 

भाईचारा भारतीयता समता ममता का भाव रहे,

ईर्ष्या द्वेष कलह का क्रोध का पूरी तरह अभाव रहे,

दया करूणा परोपकार का सर्वदा सर्वत्र प्रभाव रहे,

दीन दुखी अक्षम पर सक्षमता का मधुर स्पर्श रहे। 

अब तक बीते सारे वर्षो से बेहतर यह नव वर्ष रहे। 


मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता 

बापू स्मारक इंटर काॅलेज दरगाह मऊ। 




Comments