पितृ-दिवस..…
दिया रूप, आकार, और आधार, धरा-पावन पर। बुद्धि, रिद्धि-सिद्धि, संयुत, कर के, खड़ा किया, पावन पर  पी मेरे संताप और परिताप, सकल जीवन का। किया न पश्चाताप, मान अभिशाप, दग्ध-जीवन का। आज समृद्धि, समाज-साज, सुख-साज भरा, यह जीवन। नहीं कहीं अवसाद, मुरादें पूरित पिये सजीवन।  किया असंभव संभव जिसने, पूज्य पिता ह…
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पत्नी और आधुनिक प्रेमिका में अंतर...…
पत्नी है  जहां, संगठन है, प्रियतमा जहां, विघटन होगा। खिलते परिवार, पत्नियों संग, प्रेमिका, न चैन, घुटन होगा। चलनी के, छेद हजारों में, पत्नी पाती, पति परमेश्वर। निज बेटी-बेटा, सास-ससुर, में रमी, पा रही जगदीश्वर। वैज्ञानिक बेटा, बना रही, बेटी बन रही, किरण बेदी। पति सत्यवान को छुड़ा रही, जो जा पहुंच…
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🔶 *खून का रंग सफेद* 🔶
कैसे खून का रंग सफेद हो गया रिस्तो में !! गैरो की तो बात छोड़ो आजकल तो अपनो में  !! पैसा क्यों इतना जरुरी हो गया !! हर रिस्ते को निगल गया !! माँ बाप भाई बहन खुन के रिस्ते हल्के हो गये !! सब पर भारी हो गया धन दौलत और पैसे !! वृद्धआश्रम बनाने वालों ने अच्छा किया !! वरना जानवरों की तरह जाने कितने माँ …
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हम लड़ेंगे हर सुनहरे सपनों के लिए
हम लडेंगे हर उदास, ऊचाॅट, मनहूस और मुर्दापरस्त मौसम के खिलाफ, अपने हसीन रंगीन ख़्वाबों, ख़्वाहिशों, और हर सुनहरे सपनों के लिए।  हम लडेंगे हर काले, घने, गहरे, घुप्प गर्दो-गुबार से सने हर अंधेरे के खिलाफ, एक-एक कतरे उजालों और अपनी सूरमयी, सुहावनी और  सिन्दूरी सुबहों के लिए।  हम लडेंगे हर नफरती, बदबूॅ…
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सोचा बहुत
फ़िर सोचा की लौट आऊं दुनिया की तरफ  या  खुदा ये क्या गुनाह सोचा हमने ??? ख्वाबों के संघर्षो की भूमि से  रिश्तों की  बंजर भूमि पर  फ़िर.. लौट आने को आखिर सोचा भी कैसे ? ये रंगीन जो दिखती है दुनिया  कितनी बेरंग है भीतर से  हँस दूँ खुल के  गर मैं ...... महफिल में तो  जाने कितने तौहमते लगाती है ? और कहती…
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भूल जाना तुम मुझे, पर ये याद रखना.....
वो मेरी ग़ज़ल पढ़ कर, पहलु बदल के बोले !! कोई इससे कलम छीन लो  !! ये किसी की जान ले लेगी  !! मेरी लिखी किताब, मेरे ही हाथो में देकर वो कहने लगे !!,  इसे पढा करो तो मोहब्बत सीख जाओगे !! उन्हे कैसे बताये कि उनके मुहब्बत में किताब लिख दिये !! उन्हें एहसास तक नहीं !! सबूत तो गुनाहो के होते है !! बेगुनाह म…
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लफ्ज झूठें हो सकते है, लेकिन आँसूं कभी नहीं...
लफ्ज झूठें हो सकते है,!! लेकिन आँसूं कभी नहीं !! आँसूं तब और भी ज्यादा निकलने लगते है,!! जब आपको रोने से मना करने वाला कोई भी ना हो !! ना साथ है किसी का ना सहारा है कोई,!! ना हम है किसी के और ना हमारा है कोई !! कोई कितना भी हिम्मत वाला क्यूँ ना हो,!! रुला देती है किसी ख़ास इंसान की कमी !! ना जाने रो…
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कैसे करूं मुकदमा उस पर उसकी बेवफाई का, कमबख्त ये दिल भी.....
तुझे शिकायत है की मुझे बदल दिया वक़्त ने !! कभी खुद से भी सवाल कर की क्या तूं वही है !! कैसे करूं मुकदमा उस पर उसकी बेवफाई का ! ! कमबख्त ये दिल भी उसी का वकील निकला !! सुकून की एक रात भी शायद नहीं जिन्दगी में !! ख्वाहिशों को सुलाओ तो, यादें जाग जाती है !! उसने मुझसे पूछा की मेरे बिना रह लोगे !! सां…
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*उजाड़ के मेरी दुनिया कितने खुश है वो,!!*
कुछ कहानियां अक्सर अधुरी रह जाती है !! उजाड़ के मेरी दुनिया कितने खुश है वो,!! जो कभी हमारे थोड़े से रुठने पे खुद भी रोया करते थे !! कुछ कहानियाँ अक्सर अधूरी रह जाती है,!! कभी पन्ने कम प़ड़ जाते है तो कभी स्याही सूख जाती है !! वो मेरे रुबरु आया भी तो बारीशों के मौसम में,!! मेरे आंसु बह रहे थे और वो ब…
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धर्म का लक्ष्य हंसाना है, न कि रुलाना...…
यदि कोई  धर्म रुलाने  का, कर रहा कर्म, वह धर्म नहीं। यदि करता कर्म रुलाने का, वह है कुकर्म, सत्कर्म नहीं। आनंद देख, आनंद मिले, ‘आनंद’ वही कहलाता है।  आनंद देख, कंप गयी रूह, वह घृणित कुकर्म कहाता है। श्रष्टा से होता, सृष्टि- सृजन, है लक्ष्य मात्र, आनंद एक। आनंद सदा हो  आवंटित, हो हिये सजा, बस भाव …
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*दिल का झरोखा*
सुनो तो माधव!! झाकूँ मैं मन के, झरोखे से तुझको, जी चाहता है बैठा लूँ, पलकों पर तुझको। तड़प रही हैं अखियाँ अब तो, जैसे.. जल बिन मछली, तड़पे जीवन को। सुनो तो माधव.... खोल दो खिड़की अब तोअपने दर की, अर्जी लगा के खड़ी हूँ कब की। सुना दो अपने प्रेम की वंशी, थाम लो बैयाँ अपने भक्तन की। सुनो तो माधव...... भ…
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भगवान बनने का अमोघ मंत्र....…..
यदि, किसी पीड़ित की पीड़ा, है मिटाई आपने। नैराश्य-नद, में डूबते को, है बचाईं, आपने। चलचित्र सी, पीड़ा झलकती, देख, ब्याकुल चेहरा, सहयोग-मृदु-अमृत, पिलाकर के, मिटाई आपने। दीन-हीन-मलीन-वंचित-क्षुधित-आर्त-क्षुधार्त को, स्वयं  की  ब्यंजन-भरी, थाली  खिलाई, आपने। बन  गये  तब, आप  समझो, शेबरी  के, राम है…
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*मैं एक लड़की हूँ ना ?*
बेटी के रुप में माँ बाप की इज्जत बचाना था !! कहीं जाने से पहले माँ बाप की इजाजत लेनी चाहिए !! यही सुन कर बड़ी हुई !!  जब इस दुनिया में मै आई !! माँ के कोख से जनम लिया !! तब किसी ने मिठाई नही बाटी !! मैं एक लड़की हूँ ना ?  बहुत कुछ हुनर था मन के अंदर बहुत कुछ करने का शौक भी था !! लेकिन कौन कहता कि…
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क्यूँ मेरी चाहत को कोई किनारा ना मिला !!
उससे ताल्लुक ही कुछ ऐसा रहा है मेरा, की जब भी सोचा उसे तो आँखें भर आयी !! एक बार दीदार कर लो मेरा मेरे चेहरे से कफ़न हटा कर,!! वो आँखे बंद हो गयी है जिन्हे तुम रुलाया करते थे !! कहाँ डूब गई कश्ती मेरी वफाओं की !! क्यूँ मेरी चाहत को कोई किनारा ना मिला !! एक वक्त था जब बातें ही खत्म नहीं होती थी !! आ…
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*परमात्मा, मानव एवं सत्कर्म...…*
परम पिता परमेश्वर ने, रच सुंदर तन, दे सुघर रूप। अनुनय कर रहे, आत्मा से, कर ग्रहण, मनुज-तन, मम् स्वरूप। इस तन को साधन बना, धरा पर, जाकर के सत्कर्म करो। जा आर्त-प्राणि-पीडा हर कर, पर-पीडा-हारी-धर्म, करो। तज स्वार्थ, सदा रत हो, परार्थ,  छल-छद्म-घृणा से दूर रहो। तुम बनो, पुस्तकें खुली, सदा, संदेह-विगत,…
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कुछ कहानियां अक्सर अधुरी रह जाती है !!
उजाड़ के मेरी दुनिया कितने खुश है वो,!! जो कभी हमारे थोड़े से रुठने पे खुद भी रोया करते थे !! कुछ कहानियाँ अक्सर अधूरी रह जाती है,!! कभी पन्ने कम प़ड़ जाते है तो कभी स्याही सूख जाती है !! वो मेरे रुबरु आया भी तो बारीशों के मौसम में,!! मेरे आंसु बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा !! उसे मेरी मौत की खबर …
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"हे श्रेष्ठ, सर्वोत्तम, महान और बुद्धिमान मानव कहाँ हो तुम"
हे श्रेष्ठ, सर्वोत्तम, महान और बुद्धिमान मानव ! कहाँ रहते हो आजकल ? कहीं दिखते नहीं हो, अनगिनत अत्याधुनिक हाइटेक दूरबीनों से भी देखने पर। हे मेरे बसुन्धरा के आर्यभट्ट, वराहमिहिर, चरक, सुश्रुत और नागार्जुन, कहीं फिर तो नहीं चले गए, किसी अनंत अनजान कन्दरा और गुफा में अनंत काल के लिए।  या हे मेरे प्रि…
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