लफ्ज झूठें हो सकते है,!!
लेकिन आँसूं कभी नहीं !!
आँसूं तब और भी ज्यादा निकलने लगते है,!!
जब आपको रोने से मना करने वाला कोई भी ना हो !!
ना साथ है किसी का ना सहारा है कोई,!!
ना हम है किसी के और ना हमारा है कोई !!
कोई कितना भी हिम्मत वाला क्यूँ ना हो,!!
रुला देती है किसी ख़ास इंसान की कमी !!
ना जाने रोज कितने लोग रोते रोते सोते है,!!
और फिर सुबह झूठी मुस्कान लेकर !!
सबको सारा दिन खुश रखते है !!
गलती ना जाने हम से कहाँ हो गई,!!
लोग ऐसे भूल गए जैसे जानते ही नहीं !!
लोग हमारी कदर तब नहीं करते जब हम अकेले हो,!!
बल्कि तब करते है जब वो खुद अकेले होते है !!
कोई ऐसा ताबीज दो की मैं चालाक बन जाऊं,!!
बहुत नुकशान देती है मेरी ये सादगी मुझे !!
यूँ असर डाला है मतलबी लोगो ने दुनियाँ पर,!!
हाल भी पूछो तो लोग समझते है !!
की कोई काम होगा !!
उनको डर है !!
की हम उन के लिए जान नही दे सकते, !!
और मुझे खौफ है !!
की वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद !!
मीना सिंह राठौर ✍🏻
नोएडा, उत्तर प्रदेश।
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