*मैं एक लड़की हूँ ना ?*

 


बेटी के रुप में माँ बाप की इज्जत बचाना था !!

कहीं जाने से पहले माँ बाप की इजाजत लेनी चाहिए !!

यही सुन कर बड़ी हुई !!


 जब इस दुनिया में मै आई !!

माँ के कोख से जनम लिया !!

तब किसी ने मिठाई नही बाटी !!


मैं एक लड़की हूँ ना ? 


बहुत कुछ हुनर था मन के अंदर बहुत कुछ करने का शौक भी था !!

लेकिन कौन कहता कि आगे बढ़ों हम तुम्हारे साथ है !!


 मैं एक लड़की हूँ ना ? 


मन की ख्वाहिश मन में ही दबी रही !!

फिर शादी के बाद ससुराल में आ गई !!


माँ के दिये संस्कार यही थे !!

कभी किसी की बात मत टालना !!

सबको खुश रखना !!


मैं एक लड़की हूँ ना ? 


सबको खुश करती रही  !!

और खुद को खोती रही !!

बच्चे हुए अब तो और बड़ी जिम्मेदारी हुई !!

फिर भी मन में छिपी एक कसक सी उठती थी !!


मैं एक लड़की हूँ ना ? 


देखते ही देखते बच्चे भी बड़े होते गये !!

हम अपने सपनों को मरते देखते रहे !!

 सबको खुश करते रहे !!

लेकिन खुद को खोते रहे !!


मैं एक लड़की हूँ ना ? 


जिंदगी ऐसे मोड़ पर आ कर रुक गयी !!

बच्चे अपने अपने जिंदगी में खो गये !!

हम तन्हाइयों में खो गये !!


जहाँ से चली थी वही आ कर रुक गयी !!

जिंदगी हाथों से फिसल गयी !!


अब तो ना ख्वाहिश रही !!

ना हिम्मत रही !!


मैं एक लड़की हूँ ना ? 


बगावत की दीवार तोड़ती तो सिर झुकते माँ बाप की !!

सबको खुश करते करते खुद को खोती रही !!


मैं एक लड़की हूँ ना ? 


मीना सिंह राठौर ✍️

नोएडा, उत्तर प्रदेश। 



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