भगवान बनने का अमोघ मंत्र....…..

 


यदि, किसी पीड़ित की पीड़ा, है मिटाई आपने।

नैराश्य-नद, में डूबते को, है बचाईं, आपने।

चलचित्र सी, पीड़ा झलकती, देख, ब्याकुल चेहरा,

सहयोग-मृदु-अमृत, पिलाकर के, मिटाई आपने।


दीन-हीन-मलीन-वंचित-क्षुधित-आर्त-क्षुधार्त को,

स्वयं  की  ब्यंजन-भरी, थाली  खिलाई, आपने।

बन  गये  तब, आप  समझो, शेबरी  के, राम हैं।

या  सुदामा  दीन  के, सन्मित्र, केशव - श्याम हैं।


विद्वत जनों को सादर समर्पित एवं अभिनंदन....…..

महेन्द्र राय 

पूर्व प्रवक्ता अंग्रेजी, आजमगढ़। 



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