*दिल का झरोखा*

 


सुनो तो माधव!!

झाकूँ मैं मन के, झरोखे से तुझको,

जी चाहता है बैठा लूँ, पलकों पर तुझको।

तड़प रही हैं अखियाँ अब तो,

जैसे..

जल बिन मछली, तड़पे जीवन को।


सुनो तो माधव....

खोल दो खिड़की अब तोअपने दर की,

अर्जी लगा के खड़ी हूँ कब की।

सुना दो अपने प्रेम की वंशी,

थाम लो बैयाँ अपने भक्तन की।


सुनो तो माधव......

भेंट पिपासा है उर मेरा,

दिल के झरोखे पे, लगा के पहरा।

खड़ी मुन्तजिर में  हूँ, मैं कब से??

तुझ बिन कहीं नही, लागे दिल मेरा।


सुनो  तो माधव...

जिया ना जावे अब तेरे बिन,

हिय पे घात करे है हर दिन।

घुटने लगी स्वांस तेरे बिन,

झाकूँ रोशनदान, रात-दिन।

राधे राधे🙏  

मानसी मित्तल ✍️

जिला बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश



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