वो मेरी ग़ज़ल पढ़ कर, पहलु बदल के बोले !!
कोई इससे कलम छीन लो !!
ये किसी की जान ले लेगी !!
मेरी लिखी किताब, मेरे ही हाथो में देकर वो कहने लगे !!,
इसे पढा करो तो मोहब्बत सीख जाओगे !!
उन्हे कैसे बताये कि उनके मुहब्बत में किताब लिख दिये !!
उन्हें एहसास तक नहीं !!
सबूत तो गुनाहो के होते है !!
बेगुनाह मोहब्बत का क्या सबूत दू!!
तू मांग तो सही अपनी दुआओ मे बददुआ मेरे लिए !!
मै हंसकर खुदा से आमीन कह दूंगी !!
तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने !!
ज़रा हम भी तो देखे कौन चाहता है !!
तुम्हे हमारी तरह !!
लोगो को तो सिर्फ अल्फाज़ पढना आता है,
एहसास तो कोई आशिक ही कर पाता है !!
अगर मालुम होता की इश्क इतना तड़पाता है,!!
तो दिल जोड़ने से पहले हाथ जोड़ लेते लोग !!
कर ली मोहब्बत एक बार फिर तन्हाइयों से,!!
झूठ कहते है लोग की मोहब्बत दुबारा नहीं होता !!
कभी जो दिल पूछ लेता है की तन्हा कब तक रहोगे,!!
मैं भी सवाल कर लेती हुं की तुम धड़कना कब छोड़ोगे !!
भूल जाना तुम मुझे, पर ये याद रखना, !!
तेरी रूह रोयेगी, जब कोई मेरा नाम लेगा !!
मैं तो शायरी सुना के अकेली खड़ी रही !!
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गये !!
मीना सिंह राठौर ✍🏻
नोएडा, उत्तर प्रदेश।
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