तुझे शिकायत है की मुझे बदल दिया वक़्त ने !!
कभी खुद से भी सवाल कर की क्या तूं वही है !!
कैसे करूं मुकदमा उस पर उसकी बेवफाई का ! !
कमबख्त ये दिल भी उसी का वकील निकला !!
सुकून की एक रात भी शायद नहीं जिन्दगी में !!
ख्वाहिशों को सुलाओ तो, यादें जाग जाती है !!
उसने मुझसे पूछा की मेरे बिना रह लोगे !!
सांस रुक गई और उन्हें लगा की हम सोच रहे है !!
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए !!
तू आज भी बेखबर है कल की तरह !!
तुझे मुफ्त में जो मिल गए है हम !!
तु कदर ना करे ये तेरा हक़ बनता है !!
अंदर कोई झांके तो टुकड़ो में मिलूंगी !!
यह हँसता हुआ चेहरा तो ज़माने के लिए है !!
उन्हे हम याद आते है मगर फुर्सत के लम्हों में !!
मगर ये बात भी सच है की उन्हे फुर्सत नहीं मिलती !!
हाथ पढ़ने वाले ने तो परेशानी में डाल दिया मुझे !!
लकीरें देख कर बोला की तु मौत से नहीं, किसी की याद में मरेगी !!
ख्वाहिश तो थी मिलने की पर कभी कोशिश नहीं की !!
सोचा की जब खुदा माना है उसको तो बिन देखे ही पूजेंगे !!
हम भी मौजूद थे तकदीर के दरवाजे पे !!
लोग दौलत पर गिरे और हमने तुझे मांग लिया !!
बस यही आदत उसकी अच्छी लगती है !!
उदास कर के बोलते है की नाराज़ तो नहीं हो ना !!
उसकी निगाहों में इतना असर था !!
खरीद ली उसने एक नज़र में ज़िन्दगी मेरी !!
मीना सिंह राठौर ✍️
नोएडा, उत्तर प्रदेश।
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