*दिल का झरोखा*
सुनो तो माधव!! झाकूँ मैं मन के, झरोखे से तुझको, जी चाहता है बैठा लूँ, पलकों पर तुझको। तड़प रही हैं अखियाँ अब तो, जैसे.. जल बिन मछली, तड़पे जीवन को। सुनो तो माधव.... खोल दो खिड़की अब तोअपने दर की, अर्जी लगा के खड़ी हूँ कब की। सुना दो अपने प्रेम की वंशी, थाम लो बैयाँ अपने भक्तन की। सुनो तो माधव...... भ…