*लौटकर ना आयेंगे हम*



कितने चेहरे लेकर घुमते हैं लोग !!

पहचानना मुश्किल हैं !!


सुना था गिरगिट रंग बदलने मे महीर होता हैं !!

यहा तो इंसान उससे आगे निकल गया !!


दिखवे का मुखौटा लगाकर बात करते हैं !!

उन्हें लगता हैं कि हम ना समझ हैं !!


जिस दिन चले गये !!

फिर ना लौट के आयेंगे हम !!


हम भी ये सोच कर सुनते हैं !!

कि आखिर कीस हद तक गीरते हैं !!


हम तो ये सोच कर घबरा जाते हैं कि !!

जिस दिन उन्हें पता चलेगा कि हम तो सब जानते हैं !!


कैसे नजर मीलायेंगे हमसे !!

या फिर कोई नया बहाना बनायेंगे !!


जिस दिन चले गये !!

फिर ना लौट के आयेंगे हम !!


थकते नही हैं वो बहाना बनाते बनाते !!

और हम यही सोच कर चुप रहते हैं कि कभी तो खत्म होगा ये बहानो का सिलसिला !!


अब तो उम्मीद ही नहीं की वो कभी वफा भी करेंगे !!

क्योंकि उनकी आँखों में बेवफाई का समंदर देखा हैं  !!


जिस दिन चले गये !!

फिर ना लौट कर आयेंगे हम !!


थक कर जरुर वापस लौटेंगे !!

पर उस दिन उनका सच सुनने के लिए हम नहीं होंगे !!


बहुत रोयेंगे बहुत ढ़ुढेंगे हमे लेकिन खाली हाथ ही लौट कर आयेंगे !!

उस दिन तुम्हे याद आयेंगे हम लेकिन लौट कर नहीं आयेंगे हम !!


लाखो की भीड़ में भी खुद को तन्हा पाओगे !!

लेकिन लौट कर ना आयेंगे हम !!


हर चेहरे में मेरा चेहरा नजर आयेगा !!

लेकिन लौट कर ना आयेंगे हम !!


खुद को वेवस और लाचार समझोगे !!

 क्योंकि कोई सच्ची मोहब्बत करने वाला नहीं मिलेगा !!


लेकिन लौट कर ना आयेंगे हम !!


किसको सुनाओगे अपने दिल का हाल !!

कौन तुम्हारे झुठ को भी प्यार से सुनेगा !!


हार जाओगे थक जाओगे !!

तब किसके कंधे पर अपना सिर टीकाओगे !!


लेकिन लौट कर हम ना आयेंगे !!


मीना सिंह राठौर ✍️

नोएडा, उत्तर प्रदेश। 




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