जल संकट का संकेत है निरन्तर घटता भू- जल स्तर : डा० गणेश पाठक
भू-जल संरक्षण सप्ताह 16 - 22 जुलाई पर विशेष :-     बलिया। भू-जल संरक्षण सप्ताह 16-22 जुलाई के अवसर पर अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा के पूर्व प्राचार्य एवं समग्र विकास शोध संस्थान के सचिव पर्यावरणविद् डा० गणेश पाठक ने एक भेंटवार्ता में बताया कि पृथ्वी तल के नीचे स्थित किसी भू-गर्भिक …
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भूगर्भ जल का घटता स्तर : घोर जलसंकट का संकेत : अभिनव पाठक, पर्यावरण सेवक
आज विश्व भू-गर्भ जल दिवस पर विशेष :- बलिया। आज विश्व भूगर्भ जल दिवस के अवसर पर एक भेंटवार्ता में श्री गणेशा सोशल वेलफेयर ट्रस्ट के न्यासी एवं पर्यावरण सेवक अभिनव पाठक ने बताया कि पृथ्वी तल के नीचे स्थित किसी भू-गर्भिक स्तर की सभी रिक्तियों में विद्यमान जल को भू- गर्भ जल कहा जाता है। अपने देश में लग…
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इंसानियत जिन्दा हैं और जिन्दा रहेंगी
इंसानियत जिन्दा हैं और जिन्दा रहेंगी, एक दूसरे की जान बचाने के लिए, अस्पतालों में खून देने का चलन-कलन जब तक जिन्दा हैं, सरहदें हो या महामारियों का संकट, जान बचाने के लिए जान गवांने का जूनून, जज्बा और जोश जबतक जिन्दा हैं, नफरती और खुराफातीं हवाऐं  इस दौर में बहुत तेज चलती हैं, पर एक दूसरे से गले मिल…
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जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न हो रही हैं सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय समस्यिएँ : डा० गणेश पाठक
बलिया। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं समग्र विकास शोध संस्थान बलिया के सचिव पर्यावरणविद् डॉ. गणेश कुमार पाठक ने बताया जनसंख्या वृद्धि भौतिक एवं सामाजिक पर्यावरण पर विशेष प्रभाव डालता है. किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या वृद्धि उ…
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अपने कमाल, करतब और करिश्मे से बेटियां ही कर सकती हैं दहेज का अंतिम संस्कार : गीता पाण्डेय
आदिम, असभ्य, बर्बर और अनपढ़ जीवन से सभ्य, सुसंस्कृत और सुशिक्षित जीवन के विकासक्रम में और चरण-दर-चरण सभ्यता की ओर उत्तरोत्तर डग भरते हुए मनुष्य ने किसी पंडाॅव पर यौन अराजकता को रोकने और स्त्री-पुरुष संबंधों में स्थिरता, सुनिश्चितता, स्थायित्व और अनुशासन लाने तथा सुनिश्चित दंपत्तियों द्वारा उत्पन्न स…
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कोरोना लहर : लचर शिक्षा व्यवस्था अधर में परीक्षा और बीच भँवर में कर्णधार : मनोज कुमार सिंह
वैश्विक महामारी कोरोना ने वैसे तो हमारे जन-जीवन के सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया परन्तु इसका सर्वाधिक प्रभाव हमारी शिक्षा व्यवस्था, सामान्य अकादमिक परीक्षाओं सहित विविध प्रतियोगिता परीक्षाओं और देश के कर्णधारो के भविष्य पर पडा है। प्राथमिक विद्यालयों से लेकर उच्च शिक्षा से जुड़े सभी शिक्षण संस्थानो…
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लोकतंत्र के चार स्तम्भों में से कमजोर होता एक स्तम्भ "पत्रकारिता" : परवेज अख्तर
*कार्यपालिका*   *न्यायपालिका*   *विधायिका*  लोक तंत्र के इन *तीन स्तम्भ* पर नज़र रखने और लोगों को इनकी बातों व हरकतों  से निष्पक्ष तरीके से रूबुरू कराने के लिये ही   *चौथा स्तम्भ* यानी *पत्रकारिता* मौजूद है पर अब इस चौथे स्तम्भ पर भी ज़बरदस्त खतरा मन्डराने लगा है! पत्रकारों को धमकी, उन पर हमले …
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सर्वोच्च मानवतावादी मूल्यों, मान्यताओं और आदर्शों को हर हृदय में स्थापित करना ही धर्म का वास्तविक उद्देश्य : मनोज कुमार सिंह
धर्म का वास्तविक उद्देश्य सामाजिक जीवन में सर्वोच्च, सर्वोत्तम और सर्वोत्कृष्ट मानवतावादी मूल्यों, मान्यताओं और आदर्शों को स्थापित करना हैं। इन मूल्यों, मान्यताओं और आदर्शों से निरंतर अनुप्राणित, अनुरंजित और अनुशासित होते हुए मनुष्य अपने श्रेष्ठ नैतिक और चारित्रिक गुणों का विकास करता है और विकास कर…
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दया, करूणा, परोपकार, प्यार, मुहब्बत, और भाईचारे के अफ़साने ही अजर और अमर रहते हैं : मनोज कुमार सिंह
तेरे आलीशान महलों का शौक, कभी-न कभी तो खंडहर ही होना है। तेरी अकड, तेरी पकड़, तेरा रुतबा, तेरा रसूख, तेरी हनक, और तेरा खौफ़, सिर्फ दिखावा, नुमाईश और तमाशा है, ऐ तेरा सिकंदर होने का गुरूर कभी न कभी जरूर एक दिन जमीं के अन्दर ही होना है। ऐ दरिया तू लाख उफनती हूई आ, हर हाल में तुझे समंदर ही होना है। दौलत…
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विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस
प्रति वर्ष 17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस मनाया जाता है।  वर्ष 2020 की थीम Food.Feed.Fibre. -the links between consumption and land था अर्थात भोजन, चारे एवं रेशों के लिए उपभोग और भूमि के बीच अंतर्संबंधो को रेखांकित करना है। विश्व मरुस्थलीकरण दिवस के अवसर पर तीन मुख्य बातों के द्वार…
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चुनावी मौसम में रंग बदलती गिरगिटियाॅ प्रवृत्ति स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए घातक : मनोज कुमार सिंह
यह सर्वविदित है कि-विभिषण ने उच्चतम मानवीय मूल्यों का पालन करते हुए तथा उच्चकोटि की नैतिकता और सचरित्रता का परिचय देते हुए युगों-युगों के महानायक मर्यादा पुरुषोत्तम राम का साथ दिया था और अपने सहोदर अग्रज परन्तु अधर्मी रावण और उसकी लंका के विनाश के सारे उपाय बताऐ। परन्तु आज भी विभिषण को भारतीय जनमान…
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अपना अस्तित्व बचाने को जूझ रहा राष्ट्रीय वृक्ष बरगद : अभिनव पाठक, पर्यावरण स्वयंसेवक
धार्मिक महत्व और औषधीय गुणों से भरपूर राष्ट्रीय वृक्ष बरगद अपना अस्तित्व खो रहा है। बावजूद, इस पर न तो आमलोगों और न ही जिम्मेदारों का ध्यान है। प्रदेश में जुलाई महीने में वृहद वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है। इसमें शायद राष्ट्रीय वृक्ष बरगद पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता, जितना इसका महत्व है। बरगद के…
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अपनी अस्मिता को खोता जा रहा है राष्ट्रीय वृक्ष बरगद : डॉ0 गणेश पाठक
10 जून को वट सावित्री व्रत पर विशेष :-        वट वृक्ष, जिसे आम बोल-चाल की भाषा में बरगद कहा जाता है, एक विशेष धार्मिक, आध्यात्मिक एवं औषधीय वृक्ष है। यह एक विशाल वृक्ष होता है, किंतु इसका बीज अति  सूक्ष्म होता है। यह भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। धार्मिक महत्व के अनुसार वट वृक्ष की छाल में विष्णु, ज…
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मौत ने ज़माने को ये समा दिखा डाला : परवेज़ अख्तर
कॅरोना ने ऑक्सीज़न ने अस्पतालों ने और सिस्टम ने तथा लाकडाउन ने वो समा बाँधा है कि मौत के मूँह में समा कर कोई "लाश" बन गया! किसी का इकलौता बेटा किसी का बाप कोई घर सम्हालने वाला शख्स मर गया पीछे जो छूट गया वो "ज़िंदा लाश" बन कर रह गया!  तैरती लाशों को देख कर भी अनदेखा करने वाला हर…
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यदि पृथ्वी को बचाना है तो पारिस्थितिकी तंत्र को बचाना होगा : डॉ0 गणेश पाठक
5 जून पर्यावरण दिवस पर विशेष :- पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के संरक्षण हेतु पूरे विश्व में 5 जून को प्रतिवर्ष 'पर्यावरण दिवस' मनाया जाता है, जिसके लिए प्रतिवर्ष कोई-कोई विशेष थीम रखी जाती है, जिसको केन्द्रित कर पूरे वर्ष पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस वर्ष की पर्यावरण…
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विश्व पर्यावरण दिवस--"केवल एक पृथ्वी"
पर्या वरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) यानी वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे  मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित क…
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