पर्यावरण संरक्षण में भारतीय रेल का अप्रतिम योगदान
इस भागती दौड़ती जिंदगी में व्यस्त लोग अपनी आधुनिक जीवन शैली मे मशगूल थे तभी अचानक एक वैश्विक महामारी अपने पाँव पसारते हुए भारत मे भी दस्तक दी और सब कुछ थम सा गया। वातानुकूलित कमरों मे निश्चिंत बैठे लोगों के माथे पर पसीने की बुँदे टपकने लगी, एयर कन्डिशनर्स जो आक्सिजन का पर्याय माने जाने लगा था उसे छो…
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विश्व का प्रत्येक नागरिक पर्यावरण समस्या के समाधान हेतु यथा शक्ति योगदान दें
5 जून - विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष लेख :- (1) जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संघ की चेतावनी :- मार्च 2014 में संयुक्त राष्ट्र की एक वैज्ञानिक समिति के प्रमुख ने चेतावनी दी है कि अगर ग्रीनहाउस गैसों का प्रदूषण कम नहीं किया गया तो जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव बेकाबू हो सकता है। ग्रीनहाउस गैसे…
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भगवान बुद्ध की शिक्षायें मानव कल्याण के लिए हैं!
26 मई-बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष लेख :- (1) बुद्ध जयन्ती वैशाख पूर्णिमा को मनायी जाती हैं :-   आज से 2500 वर्ष पूर्व निपट भौतिकता बढ़ जाने के कारण मानव के मन में हिंसा का वेग काफी बढ़ गया था। इस कारण से मानव का जीवन दुःखी होता चला जा रहा था, तब परमात्मा ने मनुष्यों पर दया करके और उन्हें अहिंसक विचार क…
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सम्पूर्ण जीव जगत के लिए घातक है जैव विविधता का नष्ट होना : अभिनव पाठक
22 मई को जैव विविधता दिवस पर विशेष :- बलिया। मानव जैसे-जैसे विकास करता गया, जैव विविधता पर उसकी निर्भरता बढ़ती गयी, कारण कि मानव अपनी भोगवादी प्रवृत्ति एवं विलासितापूर्ण जीवन की पूर्ति हेतु विकास का जो रास्ता चुना उसके चलते जैव विविधता निरन्तर समाप्त होती जा रही है। इस जैव विविधता के संरक्षण हेतु …
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पारिवारिक एकता से ही वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा साकार होगी!
(अन्तर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 15 मई को विशेष लेख) ( 1) पारिवारिक एकता से ही वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा साकार होगी :- संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल एसेम्बली ने दिनांक 20 सितम्बर 1993 को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया है जिसमें सभी सदस्य देशों में प्रतिवर्ष 15 मई को ‘अन्तर्राष्ट्रीय परिवार दिवस’ के…
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माँ शब्द ही सम्मान का प्रतिबिम्ब होता है (सृष्टि के हर जीव और जन्तु की मूल पहचान माँ होती है)
9 मई 'मातृ दिवस'  के अवसर पर विशेष लेख :- 'माँ' यह वो अलौकिक शब्द है, जिसके स्मरण मात्र से ही रोम−रोम पुलकित हो उठता है, हृदय में भावनाओं का अनहद ज्वार स्वतः उमड़ पड़ता है और मनो मस्तिष्क स्मृतियों के अथाह समुद्र में डूब जाता है। 'माँ' वो अमोघ मंत्र है, जिसके उच्चारण मात्र स…
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भगवान महावीर की शिक्षायें मानव कल्याण के लिए उपयोगी हैं!
25 अप्रैल - महावीर जयन्ती पर विशेष लेख :- (1) मानवता के लिए त्याग करने वाला महावीर है :- महावीर का जन्म वैशाली (बिहार) के एक राज परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशिला था। बचपन से ही वे 23वें तीर्थकर पाश्र्वनाथ की आध्यात्मिक शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे। एक राजा…
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‘राम’ को धरती और आकाश की कोई भी शक्ति ‘प्रभु का कार्य’ करने से रोक नहीं सकी!
21 अप्रैल - रामनवमी पर्व पर विशेष लेख :- (1) ‘राम’ को कोई भी शक्ति प्रभु का कार्य करने से रोक नहीं सकी:-    जो कोई प्रभु को पहचान लेते हैं उन्हें धरती और आकाश की कोई भी शक्ति प्रभु का कार्य करने से रोक नहीं सकती। मानव सभ्यता के पास जो इतिहास उपलब्ध है उसके अनुसार राम का जन्म आज से लगभग 7500 वर्ष …
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तेरी इस दुनियां में ऐसा मंजर क्यों है, कही जख्म तो कहीं पीठ पर खंजर क्यों है ?
सुना है कि तू हर जर्रे-जर्रे में रहता है, तो फिर जमी पर कहीं मस्जिद और मन्दिर क्यों है ?  तू ही लिखता है जब सबका मुकद्दर, तो कोई बदनसीब और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है ?  हालात देश का एक बार फिर दहशत लिये विवशता के तरफ बढ़ चला है। समुद्र के तरह पीछे हटकर कोरोना ने जबरदस्त हमला किया है। लगातार पीड…
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शौक उनके अक्सर कम हो जाते हैं, जो कम उम्र में ही जिम्मेदार हो जाते है!
करोना काल कि बिकराल ब्यवस्था में होली की रंगोली उदासी भरे वातावरण में मनहूशीयत लिये आज ताल ठोक रही है। न हर्ष न उल्लास हर आदमी उदास, न जोगीरा, न  चौपाल, महंगाई में सबका फाक्ता है ख्याल। गजब का मंजर है करौना के दहशत में गांव और शहर है। आज के दिन का कभी बे सब्ररी से इन्तजार हुआ करता‌ था। बसन्त पंचमी …
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होली पर्व का मुख्य उद्देश्य ‘मानव कल्याण’ ही है!
(1) ‘होलिका’ का दहन समाज की समस्त बुराइयों के अंत का प्रतीक है :-  होली भारत के सबसे पुराने पर्वों में से एक है। होली की हर कथा में एक समानता है कि उसमें ‘असत्य पर सत्य की विजय’ और ‘दुराचार पर सदाचार की विजय’ का उत्सव मनाने की बात कही गई है। इस प्रकार होली लोक पर्व होने के साथ ही अच्छाई की बुराई पर…
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लफ्जो में पीरो लेते हैं एहसास‌के मोती, हमें इजहारे तमन्ना का सलीका नहीं आता
लफ्जो के जादुगर की बंगाल की बंगालन से दिलचस्प मुकाबला चल रहा है बंगाल की जादुगरनी अपने माया जाल में पूरी तरह बीजेपी को बस में कर लिया है। जादू की नगरी मे हर तरफ हलचल है। जो आंकड़े मिल रहे हैं वह तृणमूल के समूल बिनाश का खाका बताने में असफल है। यह विश्व के इतिहास का अजूबा है। जहां एक मुख्यमंत्री को प…
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