माँ शब्द ही सम्मान का प्रतिबिम्ब होता है (सृष्टि के हर जीव और जन्तु की मूल पहचान माँ होती है)
9 मई 'मातृ दिवस'  के अवसर पर विशेष लेख :- 'माँ' यह वो अलौकिक शब्द है, जिसके स्मरण मात्र से ही रोम−रोम पुलकित हो उठता है, हृदय में भावनाओं का अनहद ज्वार स्वतः उमड़ पड़ता है और मनो मस्तिष्क स्मृतियों के अथाह समुद्र में डूब जाता है। 'माँ' वो अमोघ मंत्र है, जिसके उच्चारण मात्र स…
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भगवान महावीर की शिक्षायें मानव कल्याण के लिए उपयोगी हैं!
25 अप्रैल - महावीर जयन्ती पर विशेष लेख :- (1) मानवता के लिए त्याग करने वाला महावीर है :- महावीर का जन्म वैशाली (बिहार) के एक राज परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशिला था। बचपन से ही वे 23वें तीर्थकर पाश्र्वनाथ की आध्यात्मिक शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे। एक राजा…
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‘राम’ को धरती और आकाश की कोई भी शक्ति ‘प्रभु का कार्य’ करने से रोक नहीं सकी!
21 अप्रैल - रामनवमी पर्व पर विशेष लेख :- (1) ‘राम’ को कोई भी शक्ति प्रभु का कार्य करने से रोक नहीं सकी:-    जो कोई प्रभु को पहचान लेते हैं उन्हें धरती और आकाश की कोई भी शक्ति प्रभु का कार्य करने से रोक नहीं सकती। मानव सभ्यता के पास जो इतिहास उपलब्ध है उसके अनुसार राम का जन्म आज से लगभग 7500 वर्ष …
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तेरी इस दुनियां में ऐसा मंजर क्यों है, कही जख्म तो कहीं पीठ पर खंजर क्यों है ?
सुना है कि तू हर जर्रे-जर्रे में रहता है, तो फिर जमी पर कहीं मस्जिद और मन्दिर क्यों है ?  तू ही लिखता है जब सबका मुकद्दर, तो कोई बदनसीब और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है ?  हालात देश का एक बार फिर दहशत लिये विवशता के तरफ बढ़ चला है। समुद्र के तरह पीछे हटकर कोरोना ने जबरदस्त हमला किया है। लगातार पीड…
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शौक उनके अक्सर कम हो जाते हैं, जो कम उम्र में ही जिम्मेदार हो जाते है!
करोना काल कि बिकराल ब्यवस्था में होली की रंगोली उदासी भरे वातावरण में मनहूशीयत लिये आज ताल ठोक रही है। न हर्ष न उल्लास हर आदमी उदास, न जोगीरा, न  चौपाल, महंगाई में सबका फाक्ता है ख्याल। गजब का मंजर है करौना के दहशत में गांव और शहर है। आज के दिन का कभी बे सब्ररी से इन्तजार हुआ करता‌ था। बसन्त पंचमी …
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होली पर्व का मुख्य उद्देश्य ‘मानव कल्याण’ ही है!
(1) ‘होलिका’ का दहन समाज की समस्त बुराइयों के अंत का प्रतीक है :-  होली भारत के सबसे पुराने पर्वों में से एक है। होली की हर कथा में एक समानता है कि उसमें ‘असत्य पर सत्य की विजय’ और ‘दुराचार पर सदाचार की विजय’ का उत्सव मनाने की बात कही गई है। इस प्रकार होली लोक पर्व होने के साथ ही अच्छाई की बुराई पर…
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लफ्जो में पीरो लेते हैं एहसास‌के मोती, हमें इजहारे तमन्ना का सलीका नहीं आता
लफ्जो के जादुगर की बंगाल की बंगालन से दिलचस्प मुकाबला चल रहा है बंगाल की जादुगरनी अपने माया जाल में पूरी तरह बीजेपी को बस में कर लिया है। जादू की नगरी मे हर तरफ हलचल है। जो आंकड़े मिल रहे हैं वह तृणमूल के समूल बिनाश का खाका बताने में असफल है। यह विश्व के इतिहास का अजूबा है। जहां एक मुख्यमंत्री को प…
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कश्तियाँ उन्ही की डूबती है, जिनके ईमान डगमगाते हैं.....
जिनके दिल में नेकी होती है, उनके आगे मंजिले भी सर झुकाती है! सदियों से तबाही का दर्द झेलता मैं हिन्दुस्तान हूं हमारी बर्बादी की कहानी सुनकर विध्वन्सकारी  मुस्कराते है। मेरी विवशता पर हंसते है।और मैं चुपचाप अपमान की असह्य बेदना को सहते हुये सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा का गुणगान सुनता रहता हू…
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ये दौरे तरक्की है या दौरे तबाही है, की कपड़ों के दरीचो से बदन झांक रहे हैं
पाश्चात्य सभ्यता को आत्मसात करती आधुनिक पीढी अपने ससंस्कार, आचार विचार, लाज लिहाज, का प्रवाह किये बगैर अपने को आधुनिक दिखाने के जुनून में नग्नता की पराकाष्ठा को पार कर उसे अपना अधिकार मान रही है। इसको ही अपनी आधुनिक संस्कृति मान रही है। कलियुग का‌ पहर है इसके चपेट में गांव और शहर है। अट्टाहास‌ करत…
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फ़ुरसत किसे की जो मेरा हाल पूछता, हर सख्श अपने बारे में कुछ सोचता मिला
वास्तविकता के धरातल पर आज कल हर तरफ हलचल है। कहीं महंगाई की मार से आम आदमी बेहाल‌ है‌‌ गृहस्थी चलाने में पैमाल है तो वही बेरोजगारी, कोरोना की महामारी से भी खतरनाक‌ होती जा रही है। कोरोना में तो मौत साथ निभा रही हैं लेकिन बेरोजगारी मैं तो केवल भूख सता रही है, न आदमी मर पा रहा है न जी पा रहा है। सरका…
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संमुश्किलों से कह दो उलझा नहीं करे हमसे, हमें हर हालात में, जीतने का हुनर आता है.....
हुंकार करता मौत को साथ लिये बे खौफ दुनियां की महाशक्तियो‌ को रौंदता कोरोना काल महाकाल के शानिध्य में आतंक मचाता भारत वर्ष में जिला दर जिला प्रान्त दर प्रान्त दहशत फैलाता सुरसा के तरह मानवता को लील रहा हैं। लगातार करोना का रफ्तार‌ बढता जा रहा है।कल तक करोना को अलबिदा कहने वाले  आज सकते में है। महारा…
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विरासत से तय नहीं होते सियासत के फैसले, ये तो उड़ान ही बतायेगा आसमान किसका‌ है?
यूपी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का शंखनाद अपवाद बनकर वर्तमान सरकार के लिये मुसीबत का सबब बन रहा है। बार बार तुगलकी फरमान लोगों के अरमान स्वाभीमान पर जबरदस्त कुठाराघात कर रहा है। आरक्षण का जिस तरह विश्लेषण हो रहा है उससे एक वर्ग सहर्ष स्वीकार कर वक्त का इंतजार कर रहा है। तुझको हर हाल में इसकी सजा मिलना…
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मेरी गलतियां तो मशहूर हैं ज़माने में, फ़िक्र तो वो करें जिनके गुनाह है पर्दे में
मैं भारत वर्ष हूं उत्कर्ष हूं दुनियां के फलक पर अपनी बिद्ववता का लोहा मनवा चुका सहर्ष‌ हूं। सदियों से त्रासदियों को झेलकर बिघटन के विनाशकारी खेला देख कर आज भी आन बान शान स्वाभिमान के साथ वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र का चादर ओढ़े अपनी पहचान बदस्तूर कायम रखा हूं। मै भाग्यशाली हूं तमाम अवतारी शक्तियों का …
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मुश्किल समय है हौसला रखिये, धूप कितनी भी तेज हो‌ समन्दर सूखा नहीं करते.....
परिवर्तन नर्तन करता चला आ रहा है। सब कुछ बदल रहा है हवा पानी रिश्ता खाना पीना नाश्ता सियासत की दकियानूसी दूकान चलाने वाला फरिस्ता। कुछ भी अब पुरातन नहीं रहा हिन्दू भी अब सनातन नही रहा। पाश्चात्य संस्कार का दायरा बढ़ रहा है खत्म होता जा रहा है। आपसी प्रेम मुहब्बत प्यार, विभाजित हो रहे हैं संयुक्त पर…
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जिंदगी की कमाई दौलत से नहीं नापी जाती, अंतिम यात्रा की भीड़ बताती है कमाई कैसी थी
आज की बदलती दुनिया में अर्थ को समर्थ बनाने के लिये झूठ फरेब अनैतिक कार्य लूट अपराध भ्रष्टाचार की खेती बेखौफ किया जा रहा है। स्वार्थ के उर्वरक से पैदा की जा रही मानव प्रजाति कि बिषाक्त पैदावार ही घर परिवार से आखरी वक्त में सदब्यहार के आचरण को त्याग कर बेगाना बना रही है। यह सिलसिला अब बड़े पैमाने पर …
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महिलाओं के मामले में पाकिस्तान विश्व का तीसरा सबसे खतरनाक देश, जिहादी निशाने पर सिंध की हिन्दू बहन-बेटियां
पाकिस्तान में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं। इमरान खान सरकार में इसमें 200 प्रतिशत तक का उछाल आया है। इसके चलते पाकिस्तान को औरतों के मामले में विश्व का तीसरा सबसे खतरनाक देश मान लिया गया है।   पाकिस्तान में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं। इमरान खान सरकार में इसमें 200 प्रतिश…
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