संमुश्किलों से कह दो उलझा नहीं करे हमसे, हमें हर हालात में, जीतने का हुनर आता है.....

हुंकार करता मौत को साथ लिये बे खौफ दुनियां की महाशक्तियो‌ को रौंदता कोरोना काल महाकाल के शानिध्य में आतंक मचाता भारत वर्ष में जिला दर जिला प्रान्त दर प्रान्त दहशत फैलाता सुरसा के तरह मानवता को लील रहा हैं। लगातार करोना का रफ्तार‌ बढता जा रहा है।कल तक करोना को अलबिदा कहने वाले आज सकते में है। महाराष्ट्र में मौत का खेल शुरु है। दिल्ली दहल रही है। करोना भी सियासतदारों से दहशत में है सियासतदारों के जनसभाओं में कभी नहीं जाता लेकिन गरीबों के घरों पर सबसे अधिक धावा बोलता है। किसान आन्दोलन में हजारों की भीड़ को देखकर रास्ता बदल दिया है। हजारो की‌ भीड में  न दहशत है न किसी को कोई दीक्कत है।लेकिन शहरों का माहौल गमगीन है। बंगाल के चुनाव के समय होने वाली भीड़ रंगीन है। कोरोना सियासी दांव पेंच से बच कर अब बिना जदद्दो जेहाद के देहात के तरफ रुख कर लिया है। एक बात समझ में नहीं आती शाहीन बाग‌ में कोरोना नहीं गया। 

किसान आन्दोलन में भी नहीं गया। सियासी खेल में लगने वाले लाखों के मजमे भी नहीं जाता। लेकिन बस ट्रेन गाड़ी, गरीब असहाय झूग्गी झोपड़ी कमजोर दिहाड़ी, पर ही क्यो उनका बसेरा होता है। प्रकृति ने भी सियासतदारों के तरह‌ ग़रीबों का ही नीवाला छीनना पसन्द कर लिया है। कालचक्र अपनी नियति को सम्हाले निश्चित समय पर पूर्व निर्धारित ब्यवस्था में आस्था को समाहित कर नित नये आयामों को संचालित कर रहा है। मानव मात्र कठपुतली बनकर वहीं कर पा रहा है जो पूर्व निर्धारित है जो कर्म फल पर आधारित है। वर्तमान में सियासत का रंग भी काला ही काला है जिधर देखिये दीवाला ही दीवाला है। हर तरफ उदासी है‌ रास्ता बदल चुकी खुशी‌ है। करोना की महामारी दिन रात बढ़ रही बे रोजगारी इन्सानी बस्तियों में दहशत पैदा कर दिया हैं कोरोना से मौत की बिमारी। आज कल पल पल कोरोना से बचाव का प्रसारित हो रहा सरकारी सन्देश देश के परिवेश को गमगीन कर दिया है। चारों तरफ एक ही चर्चा जब‌ सरकार के खिलाफ खुलता है मोर्चा पता नहीं करोना उसी समय कहां से आंधी तूफान सरीखे चला आता है। एन आरसी को लेकर शाहीन बाग आन्दोलन के समय भी आ गया, इस‌ साल किसान आन्दोलन के समय भी छा गया। अब तो किसी की खैर नही। सबकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है सरकार को किसी से बैर नहीं। कोरोना किसान आन्दोलन को डांवाडोल कर सकता है। यह‌ बात अहम सवालात के साथ यक्ष प्रश्न बनकर उभरा है कि अब किसान आन्दोलन का समय पूरा हो गया। 

बंगाल का चुनाव खत्म हुआ‌ तो इस आन्दोलन पर भी प्रभावी कार्रवाई शुरु हो जायेगी। जिस तरह‌ से करोना कहर बरपाना शुरु कर दिया है ऐसे हालात में क्या किसान आन्दोलन पंचायती सम्मेलन कायम रह पायेगा। तमाम ज्वलन्त सवालों के साथ गुजर रहा वक्त कल क्या गुल खिलायेगा यह‌ तो कहना मुश्किल है लेकिन जो कुछ दिखाई दे रहा है उससे आने वाले कल में होने वाले सरकारी फैसलों का अन्दाजा लगाया जा रहा है। देश में बिखन्डन का बीज बोनै का प्रयास करने वालों को भुगतना होगा खामियाजा यह हर जगह बताया जा रहा है। फिर हाल आप सावधान रहें करोना पल पल मौका कि तलाश में हैं। जीवन अनमोल है इसे सुरक्षित रखें।

करोना की महामारी और महंगाई की मगजमारी सियासतदारो की गद्दारी जग जाहीर है। हर कदम सुरक्षित रह कर ही आगे बढ़ाये। समय बदलेगा धैर्य के साथ इन्तजार करें।

*तू इधर उधर की बात न कर ये बता की काफिला क्यों लुटा*।

*मुझे रहजनों से गिला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है*।

जयहिंद 🙏🏻🙏🏻


जगदीश सिंह, मऊ

मो0-7860503468



Comments