कश्तियाँ उन्ही की डूबती है, जिनके ईमान डगमगाते हैं.....

जिनके दिल में नेकी होती है, उनके आगे मंजिले भी सर झुकाती है!

सदियों से तबाही का दर्द झेलता मैं हिन्दुस्तान हूं हमारी बर्बादी की कहानी सुनकर विध्वन्सकारी  मुस्कराते है। मेरी विवशता पर हंसते है।और मैं चुपचाप अपमान की असह्य बेदना को सहते हुये सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा का गुणगान सुनता रहता हूं। हमने बहुत कुछ खोया है बहुत रोया है कभी हम दुनियां में अखंडता की मिसाल हुआ करते थे रामराज्य अविभाज्य आर्यावर्त का शान हुआ करता था लेकिन हमारे सभी भाई आताताईयों के शिकार होकर धर्म परिवर्तन कर लिये मैं तन्हा रह गया। आज भी बंटवारे का सिल सिला जारी है। हमारी हालत विशाल बट बृक्ष की हो गयी है जिसकी सारी शाखाओं को काट दिया जाय और वह विरान होने के बाद भी नाम के साथ खड़ा हो वही हालत हमारी‌ है साथियों, आइये हम आप को अलग हुये अपने सहोदरों का नाम बता रहा हूं जो हमसे अलग होकर हमारे ही दुश्मन बन गये। बिछड़न की आह लिये आज भी‌ मैं दर्द से कराहता हूं। वहीं मैं हिन्दुस्तान हूं जिसकी विशालता का परचम दुनियां के शिखर पर सदियों तक बुलंदी पाता रहा। जब-जब हमारे हमसे अलग हुये सबने इस्लाम धर्म कबूल किया  मेरा ही नाम समय के साथ बदलता गया। बर्बादी की सारी सच्चाई बयां कर रहा हूं जरा गौर से सुने। 1378 में जब हमें आर्यावर्त नाम से जाना जाता रहा उस समय एक भाई हमसे अलग हुआ, जो बाद में चलकर इस्लामिक राष्ट्र बना वह आजकल  ईरान के नाम से जाना जाता है। वह हमारा सगा भ्राता है। 1761 मेँ हमसे एक और भाई अलग हुआ, वह भी इस्लामिक राष्ट्र बना उसने अपना नाम अफगानिस्तान रख लिया है। 1947 मेँ फिर हमसे एक भाई अलग हुआ वह भी, इस्लामिक राष्ट्र बनकर अपना नाम पाकिस्तान रख लिया। 1971 में भी एक भाई अलग हुआ, वह भी इस्लामिक राष्ट्र बना बांग्लादेश। 1952 से 1990 के बीच जब हम विखंडित भारत बन कर कराह ‌रहे थे फिर बंटवारे का दुस्साहसिक दर्द झेला भाई से भतीजा अलग ‌होकर वह भी ईस्लाम कबूल कर इस्लामिक‌ राज्य कशमीर बन गया। और अब हमारे दाहिने हाथ उत्तर प्रदेश, आसाम और केरला भी धर्म परिवर्तन की चपेट में आकर इस्लामिक राज्य बनने की कगार पर है। और हम जब भी हिंदुओ को जगाने की बात करता हूं सच्चाई बताने की कोशिश करता हूं तो गद्दार सियासतदार हमारे पर ही आरोप लगाकर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हैं। जरा मजहब और धर्म के तरफदारो में फर्क देखिये सब अपने है फिर भी सबके वसूल अलग अलग है। कुछ महत्त्व पुर्ण घटनाओं का जिक्र कर रहा हूं थोड़ी भी हया शर्म लाज लिहाज हो तो शर्मिन्दा एक बार जरुर हो जाना वन्देमातरम कि आवाज लगाने वालो जब देश के उपराष्ट्रपति थे हमीद अंसारी साहब तो अपने धर्म के महत्व को समझते हुए दशहरा उत्सव के दौरान आरती उतारने से मना कर दिया क्योकि इस्लाम में ये करना "मना" है। टी॰वी॰ सीरियल बिग बॉस‌ की प्रतियोगी गौहर खान ने दुर्गा पुजा करने से मना कर दिया और वो दूर खड़ी रहकर देखती रही, जबकि ये एक कार्य था जिसे करना सभी प्रतियोगी के लिए जरूरी था लेकिन गौहर खान ने इस कार्य को करने से साफ मना कर दिया क्योकि इस्लाम मे ये करना "मना" है। हमीद अंसारी व गौहर खान  को मेरा साधुवाद क्योकि दोनों ने किसी कीमत पर भी अपने धर्म से समझौता नहीं किया। चाहे इसके लिए कितनी बड़ी कीमत भी क्यो न चुकानी पड़े ये घटना उन तथाकथित सेकुलर हिन्दुओं के मुंह पर जोरदार तमाचा है जो कहते फिरते है की कभी टोपी भी पहननी पड़ती है तो कभी तिलक" भी लगाना पड़ता है। इस घटना  पर मीडिया का मौन रहना सबसे ज्यादा अचरज का विषय बन गया था। क्योकि सबसे ज्यादा हाय तौबा यही मीडिया वाले मचाते रहे है। जब नरेंद्र मोदी ने मुल्ला टोपी पहनने से इनकार कर दिया था तब देश के तथा कथित सेकुलर दिन रात कुत्तों सरीखे चौराहों पर भौंक रहे थे।

मैं भारत हूं असहाय होकर निश्चल पड़ा हुआ हूं अपनों के हाथों ही बार बार छला हुआ हूं। कुछ सीखना हो तो गद्दारों नमक हरामो मजहब के नाम पर कुर्बान होने वाली हमारी सन्तानो से सीखो जो अपने मजहब के लिए बड़ी से बड़ी कीमत चुकाने को तैयार रहते है। पर अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं कर सकते। वही हमारी सन्तान हिन्दू "कायरता" का दूसरा रूप "सेकुलर" होने का झूठा दिखावा करने से बाज नहीं आती है। आज यही कारण है हमें एक बार फिर बिघटन का डर सता रहा है। जो कौम अपने संस्कृति को नहीं बचा रही है वह हमारी सुरक्षा क्या करेगी। लगता अब कभी हमारा अपना सपना अखन्ड आर्यावर्त का पूरा नहीं होगा। बंटवारे का दर्द ही नसीब में लिखा है। भारत, हिन्दुस्तान, इन्डिया हिन्द जैसे तमाम नामों के श्रृंखला में उलझ कर अतीत हमारा दम तोड़ देगा।

जयहिंद 🙏🏻🙏🏻


जगदीश सिह, मऊ

मो0-7860503468

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