यदि पृथ्वी को बचाना है तो पर्यावरण एवं पारिस्थिति की को बचाना होगा : डॉ0 गणेश पाठक
5 जून, पर्यावरण दिवस पर विशेष :- विश्व में प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत आज से 50 वर्ष पूर्व 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा की गयी और पृथ्वी को बचाने हेतु "केवल एक पृथ्वी" का नारा दिया गया। अब 50 वर्ष बीत जाने के पश्चात भी इस वर्ष फिर वही नारा दिया गया …
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अनाज की असली जगह गोदाम और कोठार नहीं बल्कि भूखे पेट होते हैं : मनोज कुमार सिंह
अनाज की असली जगह गोदाम, कोठार और बेयर हाउस नहीं होते हैं बल्कि भूखे पेट होते हैं। हमारे नीति नियंताओं के अंदर यह समझदारी विकसित होने में लगभग 66 वर्ष लग गए। देर से ही सही सर्वोच्च न्यायालय की बार-बार डॉट फटकार के बाद वर्ष 2013 मे हर पेट को भूख से आजादी दिलाने के संकल्प के साथ संसद द्वारा बहुप्रतिक्…
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आधुनिक भारत के निर्माण के साथ भारत में लोकतंत्र को ईमानदारी से स्थापित किया था नेहरू ने---
27 मई 1964 - पुण्य स्मृति पर विशेष :- मनोविज्ञान और मनोविश्लेषण की भाषा में जवाहरलाल नेहरू पूर्णतः अपने पिता के पुत्र थे, जबकि-गांधी जी अपनी माता की संतान थे। जवाहर लाल नेहरू ने अपने पिता मोतीलाल नेहरू से स्वतंत्रता, साहस की भावना, जोखिम उठाने की क्षमता, दृढ़ इच्छाशक्ति, अविचल संकल्प और अभिजात्य स…
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*दहेज*
समाज में दहेज नाम की बीमारी लग गयी है लोगों में !! जिस दिन आप लड़की के माँ बाप से दहेज लेते हैं उसी दिन आप अपना आत्मसम्मान खो देते हैं !! जो जितना  दहेज लेता हैं उसका उतना ही ज्यादा नाम होता हैं!!  जो लड़की ज्यादा दहेज लेकर आती हैं  !!  उसको उतना ही नाम इज्जत मिलता हैं !!  और दहेज के खिलाफ कितने का…
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भारत में प्रथम सामाजिक क्रांति के प्रणेता थे महात्मा बुद्ध
महात्मा बुद्ध भारत में न केवल प्रथम सामाजिक क्रांति के प्रणेता थे अपितु महात्मा बुद्ध ने भारतीय चिंतन परम्परा में "सामाजिक न्याय" की सर्वप्रथम सर्वश्रेष्ठ व्याख्या प्रस्तुत की और सुप्रसिद्ध यूनानी सोफिस्ट दार्शनिकों पाइथागोरस और प्रोटेगोरस की तरह सामाजिक न्याय को सूक्ष्मता से परिभाषित किय…
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*गृहणी के दिल की बात*
जानती हूँ आजकल नारी काफी जागरूक व सबला होती नजर आ रही है लेकिन अभी भी कुछ स्थानों पर देखने को मिलता है कि यदि कोई नारी एक गृहणी है, और यदि वो नहीं कमाती  है तो  क्यों उस नारी के कार्यों कम आंका जाता है?? पुरुष का अहोदा बड़ा होता है आखिर ये क्यों जताया जाता है ?? क्यों एहसास दिलाया जाता है?? कि वह …
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विलक्षण प्रतिभा के धनी थे एशिया के प्रथम नोबल पुरस्कार विजेता रबिन्द्र नाथ टैगोर
कवि, दार्शनिक, शिक्षाविद, उत्कट देशभक्त, सर्वश्रेष्ठ मानवतावादी, प्रकृतिवादी, उच्च कोटि के पर्यावरणविद तथा विश्व बंधुत्व और विश्व नागरिकता के प्रखर समर्थक रबिन्द्र नाथ टैगोर भारत की साहित्यिक, सांस्कृतिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक आत्मा के अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ अधिवक्ता थे। वह भारतीय मेधाशक्ति और ज्…
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यूनीवर्सल बेसिक इन्कम आत्म निर्भर मानवता के लिए आवश्यक : डॉ. एच एन सिंह पटेल
आज का "यूनीवर्सल बेसिक इन्कम" का सिद्धान्त बुद्ध के बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय, संत रविदास (चाहूँ ऐसा राज मैं, मिले सबन को अन्न, छोट बड़ो सब सम बसे, रैदास रहे प्रसन्न), थॉमस पेन, मार्टिन लूथर किंग (गारंटीड इन्कम), रिचर्ड निक्सन (बेसिक इन्कम बिल), रगर ब्रैगमैन, डाॅ अंबेडकर के पे बैक टू सोसाय…
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भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर विशेष
महर्षि भृगु के पुत्र ऋचिक का विवाह राजा गाधि की पुत्री सत्यवती से हुआ था। विवाह के बाद सत्यवती ने अपने ससुर महर्षि भृगु से अपने व अपनी माता के लिए पुत्र की याचना की। तब महर्षि भृगु ने सत्यवती को दो फल दिए और कहा कि ऋतु स्नान के बाद तुम गूलर के वृक्ष का तथा तुम्हारी माता पीपल के वृक्ष का आलिंगन कर…
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इस दुनिया का असली निर्माता, कर्म क्षेत्र और कर्मठ्ता का नायक मेहनतकश मजदूर ही हमारा मसीहा है
गहरे समुद्र में गोते लगाने वाली पनडुब्बी से लेकर अनंत अंतरिक्ष में सुपरसोनिक विमान बनाने वाला मेहनतकश मजदूर  एक दिन दुनिया का मालिक जरूर बनेगा। हमारे धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि-इस विशाल ब्रहमांड में पृथ्वी चान्द तारे ग्रह सब ईश्वर ने बनाया है इसलिए उसको इस ब्रह्माण्ड का मालिक कहा जाता हैं। इस…
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श्रम शक्ति राष्ट्र की आर्थिक उन्नति का सबसे बड़ा आधार है : रंजीता सिंह
राष्ट्र के विकास के लिए  व्यक्ति को अपने जीवन में श्रम शक्ति को आधार बनाना चाहिए मजदूर दिवस को समर्पित करते हुए श्रम शक्ति से जुड़ी हुई देवरिया जिले की श्रम शक्ति से जुड़ी महिला रंजीता सिंह ने अपने लेख में कहा कि विश्व मजदूर दिवस की बात की जाए तो इसे 'मई दिवस' (May Day) के नाम से भी जाना जा…
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हमारे घर ऑगन में गुड़ के साथ बनने वाली मिटाठिया मिठास के साथ ममता प्यार स्नेह और लेकर दूसरे ऑगन पहुंचती थी
चीनी के साथ बनने वाली मिटाठियाॅ तीसरे पहर तक सड गल जाती हैं परन्तु गुड भेली के साथ बनने वाली मिटाठियाॅ महीनों खराब नहीं होती थी। हमारे घर ऑगन में गुड के साथ तिल, गुड के साथ मूंगफली और गुड के साथ अन्य पदार्थों को बनाकर बनने वाली मिटाठियों का दौर लगभग खत्म हो गया। गुड के साथ बनने वाली मिटाठियाॅ मही…
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धर्म का मर्म नहीं समझने वाले ही करते हैं दंगा-फसाद और नफरत परोसते हैं : मनोज कुमार सिंह
धर्म का बाजारीकरण और राजनीतिकरण दोनों स्वस्थ समाज और गतिशील लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। धर्म का बाजारीकरण बढ्ने से धर्म मुनाफ़े वाला चोखा धंधा बन जाता है। धर्म का राजनीतिकरण होने से राजनीति के सारे दुर्गुण (छल, कपट, प्रपंच, सत्ता लोलुपता इत्यादि) धर्म में समाहित होने लगते हैं तथा धर्म के प्रभाव में आ…
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