हमारे घर ऑगन में गुड़ के साथ बनने वाली मिटाठिया मिठास के साथ ममता प्यार स्नेह और लेकर दूसरे ऑगन पहुंचती थी

 


चीनी के साथ बनने वाली मिटाठियाॅ तीसरे पहर तक सड गल जाती हैं परन्तु गुड भेली के साथ बनने वाली मिटाठियाॅ महीनों खराब नहीं होती थी। हमारे घर ऑगन में गुड के साथ तिल, गुड के साथ मूंगफली और गुड के साथ अन्य पदार्थों को बनाकर बनने वाली मिटाठियों का दौर लगभग खत्म हो गया। गुड के साथ बनने वाली मिटाठियाॅ महीनों खराब नहीं होती थी। आजकल की मिठाइयां तीसरे पहर तक सड-गल जाती है। महंगी से महंगी स्वादिष्ट मिठाई मेहमान नवाजी लेकर आइये तीसरे पहर खाने लायक नहीं रहती हैं। जबकि क्वार कातिक में गुड के साथ तरह-तरह की लाई चना चबेना मिलाकर बनने वाली मिटाठियाॅ कभी खराब नहीं होती थी बल्कि जितना पुरान होती थी उतना ही मजा देती थी। हमारे में  तीज खिजडी और गवनई के अवसर पर हमारे आंगन में बनी मिटाठियों को उपहार के रूप में दिया जाता था। एक ऑगन में बनी मिटाठियाॅ दूसरे आंगन में केवल स्वाद और मिठास लेकर नहीं जाती थी बल्कि एक ऑगन की ममता प्यार स्नेह और मुहब्बत लेकर पहुंचती थी। इसलिए सच्चे हिन्दुस्तानियों से निवेदन है कि फिर से आप अपनी बहू बेटियों की विदाई के अवसर पर या तीज खिजडी और गवनई के अवसर पर देशज गुड भेली के साथ बनी मिटाठियों को उपहार के रूप में भेंट करें। ध्यातव्य हो कि महारानी एलिज़ाबेथ एक समय लंदन मुजफ्फरपुर के गुड भेली के साथ बनी मिटाठियों को मेहमान नवाजी में पेश किया करती थी। 


मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता 

बापू स्मारक इंटर काॅलेज दरगाह मऊ।



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