खांसी में आराम नहीं-गला भी रहता है खराब, जानें-कारण और बचाव


नाक, कान और गले (ENT) का ठीक रहना हमारे शरीर की फंक्शनिंग के लिए बहुत जरूरी है. शरीर के ये तीन अंग हमें क्रमश: सूंघने, सुनने और बोलने की शक्ति देते हैं. कोरोना की महामारी और सर्दी में बढ़ते बैक्टीरियल इंफेक्शन से इनका बचाव करना बहुत जरूरी है. आइए आपको बताते हैं गले से जुड़ी समस्याओं से कैसे बचें और इसका सही इलाज क्या है.


लखनऊ स्थित ENT (नाक, कान और गला) स्पेशलिस्ट डॉ. पंकज श्रीवास्तव कहते हैं, 'नाक और गला हमारे पूरे शरीर का प्वॉइंट ऑफ एंट्री है. वायरल इंफेक्शन में इंसान को गले में दर्द, खाना खाने में परेशानी, जुकाम या वायरस फीवर की समस्या हो सकती है. अगर ये समस्या 2-4 दिन में ठीक न हो तो आपको जनरल प्रैक्टीशनर के पास जाना चाहिए. लेकिन अगर यही समस्या लंबे समय तक रहे, साल में कई बार हो तो निश्चित तौर पर आपको ENT स्पेशलिस्ट की मदद लेनी चाहिए.'


डॉ. श्रीवास्तव ENT (नाक, कान और गले) की समस्या के लिए प्रदूषण को बड़ा जिम्मेदार मानते हैं. उनका कहना है कि खराब लाइफस्टाइल के चलते भी लोगों की इसकी दिक्कतें होती हैं. तंबाकू, पान मसाला, धूम्रपान और एल्कोहल जैसी चीजें गले के कैंसर का कारण बन सकती है. पान-मसाला खाने से तो म्यूकस फाइब्रोसिस नाम की बीमारी भी हो सकती है, जिसमें इंसान का मुंह खुलना बंद हो जाता है. इसका कोई इलाज नहीं है और सर्जिकल ट्रीटमेंट में दिक्कतें बढ़ भी सकती हैं.


डॉ. श्रीवास्तव कहते हैं कि कई बार गले में दिक्कत पेट के रिफल्क्स एसिड की वजह से होती है. हमारे फूड पाइप में एक वेल्व होता है जो एसिड को ऊपर आने से रोकता है. हालांकि कुछ लोगों के शरीर में वेल्व के ढंग से काम न करने पर एसिड ऊपर आ जाता है. इसे लैरिंगो फेंरिंग रिफलक्स (LPR) कहते हैं. इससे गले में दर्द, खराश, खून आने की समस्या हो सकती है.


इसके अलावा गले में टॉन्सिल में बहुत सारी पॉकेट्स होती हैं. इसमें हमारे खाने के पार्टिकल्स और लार में मौजूद सॉल्ट जमा हो जाते हैं. ये पॉकेट्स कई बार इंफेक्शन का सोर्स बन जाते हैं. इसलिए इम्यूनिटी कमजोर होने पर इंसान का गला खराब हो जाता है. ENT स्पेशसलिस्ट आपको बताता है कि ये टॉन्सिल इंफेक्शन या रिफल्क्स एसिड की वजह से ऐसा हो रहा है. टॉन्सिल इंफेक्शन एंटीबायोटिक्स से कंट्रोल होता है, जबकि रिफल्क्स एसिड में एसिडिटी की दवाएं दी जाती हैं.


गले में खराबी होने पर शुरुआत में घरेलू नुस्खे भी अपनाए जा सकते हैं. डॉ. श्रीवास्तव के मुताबिक, भोजन करने के बाद सोने के बीच ढाई से तीन घंटे का अंतर रखें. सोने से पहले हल्का खाना ही खाएं. दिन में 3 बार पेट भरकर खाने की बजाए 4 से 5 बार हल्का भोजन कर लें. तीनों पहर खाना खाने के बाद पानी से गरारा जरूर करें. मसालेदार चीजें कम से कम खाएं. फ्राई या डीप फ्राई चीजों से परहेज करें.


गले की समस्या होने पर अक्सर लोगों को चावल, दही और छाछ जैसी ठंडी चीजें न खाने की सलाह दी जाती है. डॉ. श्रीवास्तव कहते हैं कि गले की तकलीफ होने पर कुछ चीजों के न खाने का वैज्ञानिक कारण समझ नहीं आता है. पूर्वी राज्यों में सबसे ज्यादा चावल खाया जाता है, लेकिन उनका गला हर समय खराब नहीं रहता है. उनका कहना है कि आपको सिर्फ वही चीजें खाने में एवॉइड करनी चाहिए, जिनसे आपकी बॉडी को एलर्जी हो.


 


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