वृक्षों के महत्व और इन्हे लगाने, संरक्षित करने आदि पर जन जागरूकता पर एक विशेष प्रस्तुत…
1. आज प्रकृति मायूस खड़ी है, विपदा भरी आन पड़ी है।। 2. जल जमीन जीवन का नाश, …
संक्रामक रोगों के प्रति जनजागरूकता पर एक विशेष काव्य प्रस्तुति :- लो संक्रामक मौसम आया…
क्यों बंटता है धर्म युद्ध में। कहां भला तू जाएगा।। मिट्टी का पुतला है आखिर। मिट्टी में…
गम नहीं होता गर वो मार भी देता, कत्ल कर गया मेरा वो दुआ देकर। मैं क्या बयाॅ करूॅ नादान…
आज विरान अपना शहर देखा तो कई बार नजरें उठाकर देखा इंसान टूटे हुए नजर आए और एक ठहरा …
दिन-रात साल महीना देखते-देखते बरसों बीत गया घर की आंगन और माँ दोनों की नजरें अभी …
बांसों लकड़ियों और सूखे पेड़ की टहनियों से आशियाना बनाएं। ईंट लगा गारे से चुनाई करें…
एक बेटी की कलम से ......!! क्यों रोई थी मैं .......!! बेटी के रुप में जन्म लिया था इस…
हाशिए पर जो खड़े हैं बात उनकी भी करें रास्ते पर जो पड़े हैं बात उनकी भी करें हौसलो…
घर की खिलती फुलवारी का मां खुद बीज, खुद तना होती है मां तो बस मां होती है। मेरी ही …
अकस्मात मन में आया एक विचार लोग हो गये हैं सोच के शिकार, नित बदल रहा ये समाज क्या पत…
बेटियां, विदा नही होतीं, वे रह जाती हैं, मां, पिता के घर याद बनकर, एक मूक संवाद बनकर, …
आज 14 फरवरी का दिन प्रेम दिवस के लिए ही, क्यों?? ये दिन रहता है याद। पुलवामा हमला …
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