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🌹धरती के श्रृंगार वृक्ष हैं।🌲
*प्रकृति पर संकट*
लो संक्रामक मौसम आया
मिट्टी का पुतला ......
 *कुछ फासले जरूर रखिऐ रिश्तों के दरम्याॅ*
आज वीरान अपना शहर देखा
माँ-बाप की बेबसी .......
आ अब लोट चलें
क्यों रोई थी मैं.....!!
बात उनकी भी करें......
*माँ तो बस माँ होती है*
*सोच के शिकार*
*बेटियां*
*पुलवामा हमला*