आ अब लोट चलें

 


बांसों लकड़ियों और सूखे पेड़ की टहनियों से आशियाना बनाएं।

ईंट लगा गारे से चुनाई करें। चूना और गेरू से रंग उसकी पुताई 

करें। घास फूस की छत बना देसी कवेलु से बारिश की समस्या 

को हल करें। आ अब लोट चलें। 


मोमबत्ती बिजली या बैट्री चलित दिये की जगह

रुई की बात बना तेल या घी में उसको डुबा मिट्टी

का दिया जलाएं। संग ही मिट्टी का चूल्हा बना रोटी

उस पर पकाएं। आ अब लोट चलें। 


चकली चरखा से सूत कात खादी के वस्त्रों

से तन को सजाएं। भोजन की मेज छोड़

जमीन पर बैठ आलती पालथी लगा भोजन

का थाल सजाएं। आ अब लोट चलें। 


आसपास की दुकानों बाग बगीचों और छोटे मोटे 

कामकाज के लिये घर से पैदल ही जायें। राह में

मिलने वाले लोगों से राम राम नमस्कार सतश्री 

अकाल या दुआ सलाम करें। आ अब लोट चलें। 


छोटे बड़े सभी तरह के पौधे और हरे भरे वृक्ष से

घर आंगन बाग बगीचों और शहर की सड़कों को

महकाएं। जानवर और पक्षियों को खाना दाना 

पानी का प्रबंध करते जायें। आ अब लोट चलें। 


रमा निगम ✍️

वरिष्ठ साहित्यकार।




Comments