सादा जीवन उच्च विचार की भावनाओं को परिभाषित करते थे विक्रमादित्य पांडे
बलिया। एक छोटे से अति पिछड़े गांव बसुधरपाह में 1 जुलाई 1945 में उनका जन्म हुआ था, उनके पिताजी का नाम स्वर्गीय जगन्नाथ पांडे और माता का नाम समरातो देवी था, प्राथमिक शिक्षा गांव के सेट पुरास तथा बसरिकापुर से मैट्रिक और दुबहर से इन्टर तक की शिक्षा ग्रहण की, टाउन डिग्री कॉलेज से बीकॉम की डिग्री तथा गोर…
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देश की एकता, अखंडता और स्वाभिमान के प्रतीक थे लौह पुरूष पटेल
15 दिसंबर पुण्यतिथि पर पुण्य स्मरण :- साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के दुर्दमनीय महान सेनानी, अविश्रांत राष्ट्रकर्मी, उच्च कोटि के निष्ठावान देशभक्त, ऋषियों जैसी दूर दृष्टि रखने वाले राजनेता, दृढ़ संकल्पित प्रशासक और अपने फौलादी इरादों…
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प्रकृति संरक्षण के लिए समर्पित था गांधीजी का जीवन दर्शन : डाॅ0 गणेश पाठक (पर्यावरणविद्)
गांधी जयन्ती 2 अक्टूबर पर विशेष :-      वर्तमान समय में महात्मा गांधीजी की  प्रकृति संरक्षण संबंधी विचारों की सार्थकता और बढ़ गयी है। वर्तमान समय में मानव की भोगवादी प्रवृत्ति एवं विलासितापूर्ण जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एवं अनियोजित तथा अनियंत्रित विकास हेतु जिस तरह से प्रकृति का अंधाधुंध …
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एक देश एक चुनाव एक कर के साथ एक समान शिक्षा प्रणाली भी लागू हो
"चूंकि 1951-52 से 1967 तक लोक सभा और राज्य विधान सभाओं के चुनाव ज्यादातर एक साथ ही होते थे, जिसके बाद यह चक्र टूट गया और अब, चुनाव लगभग हर साल और एक वर्ष के भीतर भी अलग-अलग समय पर होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सरकार और अन्य हितधारकों द्वारा भारी व्यय होता है, ऐसे चुनावों में लगे सुरक्षा बलों और…
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बलिया ज़िला में हैं पर्यटन के विविध आयाम : विकसित कर बनाया जा सकता है पर्यटन का जाल : डॉ. गणेश पाठक
विश्व पर्यटन दिवस, 27 सितम्बर पर विशेष :-  जनपद बलिया विविधताओं एवं विभिन्नताओं से भरा पड़ा है। खनिज संसाधन विहिन इस जिला में कोई बड़ा उद्योग भी स्थापित नहीं है। लघु एवं कुटीर उद्योगों की स्थिति भी बेहतर नहीं है। एकमात्र कृषि ही जनपद की अर्थव्यवस्था का स्रोत है। कृषि का भी समुचित विकास नहीं हो पाया…
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नदियों को प्रदूषण मुक्त करने एवं नदी संरक्षण हेतु करना होगा भगीरथ प्रयास : डाॅ0 गणेश पाठक (पर्यावरणविद्)
22 सितम्बर को विश्व नदी संरक्षण दिवस पर विशेष :- नदियां मात्र जल स्रोत ही नहीं, अपितु मानव सभ्यता एवं संस्कृत का मूलाधार हैं। सभ्यता एवं संस्कृति का विकास नदियों के किनारे ही हुआ है। खासतौर से प्राचीन सभ्यताएं नदी किनारे ही पुष्पित एवं पल्लवित हुई हैं। नदियां हमारी जीवन धारा हैं। यही कारण है कि नदि…
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हिन्दी हमारी सिर्फ भाषा नहीं बल्कि धरोहर है : रामाश्रय यादव
हिंदी पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम बुध्दिमत्ता को जोड़ना हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को ही संविधान सभा ने यह निर्णय लिया था कि हिन्दी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी।चूंकि भारत में अधिकतर क्षेत्रों में हिन्दी भाषा बोली जाती थी, इसलिए हिन्दी को राजभाषा बना…
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हिन्दी को समर्पित एक परिवार : तीन पीढ़ियों संग हिंदी के विकास में जुटे हैं पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव
*हिन्दी दिवस (14 सितम्बर) पर विशेष* *हिन्दी की अभिवृद्धि के लिए राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मानों से विभूषित हैं पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव और उनका परिवार* हमारे देश में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घो…
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योगीराज कृष्ण का हर स्वरूप ज्ञान, भक्ति और कर्म का संगम है
मीरा के गिरधर नागर, राधा के मुरली मनोहर, सूरदास, रसखान और ब्रजभाषा के अनेकानेक कवियों के नटखट श्याम और यशोदा के कान्हा, लीलाधारी नन्द लाल, दीन-हीन सुदामा के बालसखा और गांडीव धारी अर्जुन के सारथि इत्यादि विविध रूपों में वर्णित भारतीय सभ्यता और संस्कृति के उन्नायक, पथ प्रदर्शक भगवान श्रीकृष्ण को भारत…
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