गरीबी मुक्त विश्व की ओर : समानता, संवेदना और सशक्तिकरण की दिशा में कदम


विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस पर विशेष लेख :-

हर वर्ष 17 अक्टूबर को पूरी दुनिया में “विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस” मनाया जाता है। यह दिवस उन करोड़ों लोगों की आवाज़ को सुनने, समझने और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर देता है जो गरीबी की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं। इस दिन का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को यह याद दिलाना है कि गरीबी कोई नियति नहीं, बल्कि ऐसी चुनौती है जिसे हम सामूहिक प्रयासों से समाप्त कर सकते हैं।

🔹 गरीबी : एक वैश्विक चुनौती

गरीबी केवल आर्थिक संसाधनों की कमी नहीं है, बल्कि यह मानव अधिकारों से वंचित होना, अवसरों का अभाव, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, रोजगार और सम्मानजनक जीवन की कमी भी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आज भी विश्व की लगभग 70 करोड़ से अधिक आबादी अत्यधिक गरीबी में जीवन बिता रही है, जिनकी दैनिक आय 2 डॉलर से भी कम है। यह स्थिति दर्शाती है कि विकास के बावजूद विश्व के अनेक हिस्सों में असमानता गहरी है।

🔹 भारत में गरीबी की स्थिति

भारत जैसे विशाल देश में गरीबी का स्वरूप बहुआयामी है। पिछले कुछ दशकों में भारत ने गरीबी घटाने में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन चुनौतियाँ अभी शेष हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी, शिक्षा का अभाव, कृषि पर निर्भरता और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी गरीबी के प्रमुख कारण हैं।

सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत जैसी योजनाएँ गरीबी उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, जिन्होंने करोड़ों परिवारों को राहत और सम्मानजनक जीवन का अवसर दिया है।

🔹 विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस का इतिहास

इस दिवस की शुरुआत 17 अक्टूबर 1987 को फ्रांस के पेरिस शहर में हुई, जब मानवाधिकारों के प्रति समर्पित फादर जोसेफ व्रेसिन्स्की ने गरीबी के शिकार लोगों की याद में “मानवाधिकार और गरीबी विरोधी स्मारक” का उद्घाटन किया।

1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे आधिकारिक रूप से “विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस” के रूप में मान्यता दी। तब से यह दिन हर साल विश्व भर में गरीबी के खिलाफ एकजुटता और कार्रवाई के संकल्प के रूप में मनाया जाता है।

🔹2025 की थीम : समान अवसर और सतत विकास के लिए सामाजिक न्याय

इस वर्ष का विषय हमें यह याद दिलाता है कि जब तक समाज के सबसे कमजोर वर्गों को समान अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक सतत विकास (Sustainable Development) का सपना अधूरा रहेगा।

गरीबी उन्मूलन केवल आर्थिक विकास से नहीं, बल्कि शिक्षा, लैंगिक समानता, पर्यावरण संरक्षण, रोजगार सृजन और सामाजिक न्याय से ही संभव है।

🔹 गरीबी मिटाने के उपाय

  1. समान शिक्षा का अधिकार : गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से ही व्यक्ति आत्मनिर्भर बन सकता है।
  2. रोजगार सृजन : स्थानीय उद्योग, कृषि आधारित रोजगार और स्वरोजगार को प्रोत्साहन देना आवश्यक है।
  3. महिला सशक्तिकरण : महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना समाज की गरीबी मिटाने की कुंजी है।
  4. स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता : गरीब तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक उसका स्वास्थ्य सुरक्षित न हो।
  5. तकनीकी सशक्तिकरण : डिजिटल माध्यमों से ग्रामीण और पिछड़े वर्गों को आधुनिक अर्थव्यवस्था से जोड़ना चाहिए।
  6. सामाजिक जागरूकता : समाज को यह समझना होगा कि गरीबी का अंत केवल सरकार का नहीं, बल्कि हम सबका कर्तव्य है।

🔹 निष्कर्ष

गरीबी मानवता के सम्मान पर सबसे बड़ा प्रश्नचिह्न है। जब तक दुनिया में कोई व्यक्ति भूखा, असहाय या वंचित रहेगा, तब तक विकास अधूरा रहेगा।

विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस हमें यह संदेश देता है कि —
“जब तक अंतिम व्यक्ति खुशहाल नहीं होगा, तब तक मानवता की जीत अधूरी रहेगी।”

इसलिए आवश्यकता है कि हर व्यक्ति, संस्था और राष्ट्र समानता, संवेदना और साझी प्रगति की भावना से आगे बढ़े।
गरीबी मिटाना केवल आर्थिक नहीं, बल्कि नैतिक और मानवीय कर्तव्य भी है। आइए, संकल्प लें —

👉 “एक ऐसा समाज बनाएं, जहाँ कोई भी भूखा न सोए, कोई भी असमानता का शिकार न हो, और हर व्यक्ति को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर मिले।” 

परिवर्तन चक्र समाचार सेवा ✍️ 



 

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