धनतेरस : समृद्धि, आरोग्य और शुभारंभ का पर्व


भारत की सांस्कृतिक परंपराओं में प्रत्येक पर्व का अपना विशिष्ट महत्व है। दीपावली के पांच दिवसीय पर्व का प्रथम दिवस ‘धनतेरस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन न केवल धन-संपदा के सम्मान का प्रतीक है, बल्कि स्वास्थ्य, समृद्धि और उज्जवल भविष्य की कामना का भी पर्व है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला धनतेरस पर्व, लोकमान्य आस्था और वैदिक परंपराओं का अनूठा संगम है।

🔶 धनतेरस का धार्मिक और पौराणिक महत्व

पुराणों के अनुसार, इसी दिन समुद्र मंथन से धनवंतरी भगवान प्रकट हुए थे, जो आयुर्वेद के प्रवर्तक और देवताओं के वैद्य माने जाते हैं। उन्होंने अमृत कलश के साथ मानव जाति को आरोग्य का संदेश दिया। इसी कारण यह दिन “धनवंतरी जयंती” के रूप में भी मनाया जाता है।

‘धन’ शब्द का अर्थ केवल सोना-चांदी या भौतिक संपदा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, संतोष और सुख से भी है। इसलिए धनतेरस का वास्तविक अर्थ है — ‘धन’ अर्थात आरोग्य और ‘तेरस’ अर्थात त्रयोदशी का संगम — यानी वह तिथि जब हम अपने जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का स्वागत करते हैं।

🔶 धनतेरस की परंपराएँ और लोकविश्वास

इस दिन घरों की साफ-सफाई, दीप सज्जा और शुभ प्रतीकों की स्थापना की जाती है। लोग शुभ मुहूर्त में सोना, चांदी, बर्तन या नई वस्तुएं खरीदते हैं। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं घर में स्थायी सुख-समृद्धि लाती हैं।

शाम के समय यमराज के निमित्त दीपदान की परंपरा भी प्रचलित है, जिसे “यमदीपदान” कहा जाता है। इस दीप को घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर जलाकर रखा जाता है, जिससे परिवार के सदस्यों की आयु लंबी और जीवन सुरक्षित रहे।

🔶 आयुर्वेद और स्वास्थ्य का संदेश

धनतेरस का संबंध केवल धन से नहीं, बल्कि ‘धनवंतरी’ से है — जो स्वास्थ्य और दीर्घायु के देवता हैं। आज के समय में जब जीवनशैली और तनाव से लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, धनतेरस हमें याद दिलाता है कि वास्तविक संपदा हमारा स्वास्थ्य है। इस दिन लोग अपने स्वास्थ्य की देखभाल का संकल्प लेते हैं और आयुर्वेदिक परंपराओं को अपनाने का संदेश देते हैं।

🔶 आर्थिक दृष्टि से धनतेरस का महत्व

धनतेरस को व्यापारियों और गृहिणियों के लिए वर्ष का अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। बाजारों में रौनक रहती है, स्वर्णाभूषण, बर्तन, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की बिक्री में तेजी आती है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन देने वाला एक सशक्त अवसर बन गया है।

🔶 धनतेरस का आध्यात्मिक संदेश

धनतेरस का गूढ़ संदेश है — “सच्चा धन वह नहीं जो तिजोरी में बंद हो, बल्कि वह है जो हमारे कर्म, विचार और व्यवहार में झलकता है।”

यह दिन हमें सिखाता है कि धन का सदुपयोग समाज के कल्याण में किया जाए। जब धन के साथ धर्म जुड़ता है, तभी जीवन में सच्ची समृद्धि आती है।

🔶 निष्कर्ष

धनतेरस केवल खरीदारी का पर्व नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि, स्वास्थ्य संरक्षण और सकारात्मक ऊर्जा के स्वागत का दिन है। यह पर्व हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में संतुलन, संयम और सद्भाव बनाए रखें।

आइए, इस धनतेरस पर हम न केवल सोना-चांदी खरीदें, बल्कि अच्छा स्वास्थ्य, शुभ विचार और उज्जवल जीवन की कामना भी अपने घर लेकर आएं।

“धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ! आपका जीवन धन, स्वास्थ्य और आनंद से परिपूर्ण रहे।” 🌺










धीरेन्द्र प्रताप सिंह ✍️ 
सहतवार, बलिया (उ.प्र.)
मो. नं. - 9454046303




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