भारत एक ऐसा देश है जहाँ प्राचीन काल से ही प्रकृति, जंगल और वन्यजीवों को जीवन का अभिन्न अंग माना गया है। वृक्षों और वनों को हमारे शास्त्रों में “धरती की जीवनरेखा” कहा गया है। लेकिन दुर्भाग्यवश, समय-समय पर जंगलों पर अवैध कटान, शिकार और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के दोहन ने संकट खड़ा किया। इन संसाधनों की रक्षा के लिए हमारे वनकर्मी और अधिकारी हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़े रहते हैं। इन्हीं साहसी वनरक्षकों की शहादत को याद करने और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए हर साल 11 सितम्बर को ‘राष्ट्रीय वन शहीद दिवस’ मनाया जाता है।
इतिहास और महत्व
राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का आरंभ उस अमर बलिदान की याद दिलाने के लिए किया गया था, जब 11 सितम्बर 1730 को राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गाँव में अमृता देवी बिश्नोई ने 363 बिश्नोई समाज के लोगों के साथ पेड़ों को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने कहा था –
“सर सँटै रुख रहे तो भी सस्तो जाण।”
(अर्थात – यदि सिर कट भी जाए, लेकिन पेड़ बच जाए, तो यह सौदा सस्ता है।)
उनकी इस अदम्य भावना ने आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाया कि वृक्षों और जंगलों की रक्षा जीवन रक्षा के समान है। इसी प्रेरणा से इस दिन को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
वनकर्मियों का योगदान और बलिदान
आज भी देश के अलग-अलग हिस्सों में वनकर्मी अवैध शिकारियों, माफियाओं और तस्करों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे देते हैं। चाहे वह नक्सल प्रभावित क्षेत्र हों या जंगली इलाकों की कठिन परिस्थितियाँ – इन रक्षकों का कार्य न सिर्फ चुनौतीपूर्ण बल्कि राष्ट्रहित में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी शहादत यह संदेश देती है कि जंगल सिर्फ पेड़ों का समूह नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक धरोहर हैं।
पर्यावरण संरक्षण से जुड़ाव
वन हमारे जीवन का आधार हैं। ये न केवल जलवायु को संतुलित रखते हैं, बल्कि ऑक्सीजन, औषधियाँ, लकड़ी और असंख्य संसाधनों का भी भंडार हैं। अगर वन नष्ट होंगे तो न केवल मानव जीवन बल्कि पृथ्वी पर समस्त जीव-जंतुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। वन शहीद दिवस हमें याद दिलाता है कि पर्यावरण की रक्षा करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय वन शहीद दिवस केवल एक स्मृति दिवस नहीं है, बल्कि यह हमें अपने दायित्वों का बोध कराता है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने आसपास हरियाली बढ़ाएँ, पेड़ों की रक्षा करें और आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित पर्यावरण दें। जंगलों के लिए बलिदान देने वाले सभी शहीदों को आज पूरा राष्ट्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
🌿 संदेश स्पष्ट है – अगर जंगल बचेंगे तो जीवन बचेगा।


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